tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post7669325019865951415..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: उर्दू एक कोठे की तवायफ है, मज़ा सब लेते हैं...अनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-60572104070722604032008-05-22T00:35:00.000+05:302008-05-22T00:35:00.000+05:30बड़ी ही विचित्र बात है कि लोग उर्दू सीखना चाहते हैं...बड़ी ही विचित्र बात है कि लोग उर्दू सीखना चाहते हैं लेकिन जब लिपि के चक्कर में आएंगे तो लगेगा कि फंस गए। वस्तुतः उर्दू और अरबी की वर्णमाला में दस अक्षरों का अंतर है,अरबी में दस अक्षर कम हैं। उर्दू की लिपि में मात्राएं यानि ज़ेर-ज़बर आदि लगाना सामान्यतः प्रचलन में नहीं है तो यदि लिखा है : अलिफ़ + रे + दाल + वाओ = उर्दू लेकिन आप यदि इस भाषा में अंदाज के घटक से परिचित नहीं हैं तो आप "उर्दू" शब्द को क्या-क्या पढ़ सकते हैं जरा देखिये- अरदु,अरदू,उरदु,अर्दु,अर्दू,इर्दू,अरदो,उरदो,उर्दो,अरदव,इरदव,उरदव,उर्दव,अर्दव....और न जाने क्या-क्या... आप पागल होते होते बचेंगे,यदि लिपि देवनागरी हो तो बिलकुल सही है और जो लोग ये दावा करते हैं कि हलक से निकलने वाले "हे"का हिन्दी बोलने वाले उच्चारण नहीं कर पाते उन्हें शायद विसर्ग(:) के बारे में पता ही नहीं होता। भाषा अतिसुन्दर है किन्तु लिपि अपूर्ण है.....डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)https://www.blogger.com/profile/13368132639758320994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-49186928838947437952008-05-21T16:44:00.000+05:302008-05-21T16:44:00.000+05:30अनिल सिंह जी उर्दू के बारे में जानने की बहुत इच्छा...अनिल सिंह जी उर्दू के बारे में जानने की बहुत इच्छा थी और सीखना भी चाहा किन्तु सीख नही पाये...उर्दू बेहद सलीकेदार और अदब की भाषा है...हम चाहेंगे आप कोई एसा भी लिंक दें जहाँ से हम उर्दू सीख भी पायें...बोलना न सही लिखना समझ पायें...<BR/>कन्वर्ट मेगज़ीन भी अच्छी लगी...सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-53458436650359894712008-05-18T21:36:00.000+05:302008-05-18T21:36:00.000+05:30गीत चतुर्वेदी का लेख भी पढ लिया और आपकी पोस्ट भी....गीत चतुर्वेदी का लेख भी पढ लिया और आपकी पोस्ट भी... सममुच बहुत गंभीर मसला उठाया है आप लोगों ने... मैंने अपने ही परिवार में देखा है... उर्दू बोलने की कोशिश करो, तो पापा, मामा घुडक देते थे...Nandinihttps://www.blogger.com/profile/11132775455271584623noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-61431530725836491682008-05-18T18:42:00.000+05:302008-05-18T18:42:00.000+05:30अनिल जी,विषय चुनने में आपका कोई सानी नहीं.ये बेबाक...अनिल जी,<BR/>विषय चुनने में आपका कोई सानी नहीं.<BR/>ये बेबाकपन और भाषा का ये बांकपन !<BR/>इसे सिर्फ़ कमाल कहना भी <BR/>मुनासिब जान नहीं पड़ता.<BR/>सूचना....सन्दर्भ.....समझ....बहस....<BR/>और भी बहुत कुछ.<BR/>इसे मैं रघुराजपन मानता हूँ.<BR/>===================================<BR/>शुक्रिया इस पोस्ट के लिए भी.<BR/>आपकी हर पोस्ट पढ़ता हूँ.<BR/>डा.चंद्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-40480577477646971952008-05-18T18:04:00.000+05:302008-05-18T18:04:00.000+05:30really informative, so many people use urdu words ...really informative, so many people use urdu words but didn't know about the reality which is u write in ur blog.गवाहhttps://www.blogger.com/profile/08334870304454846349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-32130320693426950942008-05-17T13:15:00.000+05:302008-05-17T13:15:00.000+05:30बिल्कुल सही लिखा आपने...बधाई..बिल्कुल सही लिखा आपने...बधाई..sushant jhahttps://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-49256586659886822802008-05-17T12:58:00.000+05:302008-05-17T12:58:00.000+05:30आप भी मेस्मराइज हो गये खुशवन्त जी से। हमें तो न जम...आप भी मेस्मराइज हो गये खुशवन्त जी से। हमें तो न जमते अब!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-32191763037496560162008-05-17T11:32:00.000+05:302008-05-17T11:32:00.000+05:30किसी भी भाषा के सबसे बड़े दुश्मन वो भाषाई कठमुल्ले...किसी भी भाषा के सबसे बड़े दुश्मन वो भाषाई कठमुल्ले हैं जो अपनी वर्णमाला को सुधारने या दूसरी भाषाओं के शब्दों को स्वीकार करने से इनकार कर देते हैं। <BR/>aapki bat se sahmat hun bhasha sudh karne ke chkkr me to khatm hone ke aasar badh jate hainL.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-66404206027686403702008-05-17T01:02:00.000+05:302008-05-17T01:02:00.000+05:30इस लेख को प्रस्तुत करआपने एक बार फिर उर्दूकी तरफ ध...इस लेख को प्रस्तुत करआपने एक बार फिर उर्दूकी तरफ ध्यान खींचा है । मेरी एक पाकिस्तानी दोस्त अक्सर कहा करती थी तुम लता मंगेशकर की तरह उर्दू बोलती हो । शायद मेरे मराठी लहजे की वजह से । मेरे तईं तो मै हिंदी ही बोलती थी । उसके कहने का मतलब अब समझ में आया । पर क्या आप लोगों ने पाकिस्तानी खबरें सुनी हैं वे तो बिलकुल समज में नही आतीं आधे से ज्यादी अरबी शब्द होते हैं उसमे ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-58863559841751365192008-05-16T22:45:00.000+05:302008-05-16T22:45:00.000+05:30शुक्रिया इस आलेख के अंश यहाँ छापने के लिए। मुझे लग...शुक्रिया इस आलेख के अंश यहाँ छापने के लिए। मुझे लगता है कि उर्दू की स्थिति में सुधार सरकार लाए ना लाए अपनी हिंदुस्तानी संस्कृति से प्रेम करने वाले जरूर लाएँगे।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-58329277006315022882008-05-16T22:23:00.000+05:302008-05-16T22:23:00.000+05:30बहुत इच्छा है उर्दु सीखने की. मजा आयेगा.बहुत इच्छा है उर्दु सीखने की. मजा आयेगा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-34880417718750343232008-05-16T20:32:00.000+05:302008-05-16T20:32:00.000+05:30कभी उर्दू सिखना शुरू किया था ,आप की पोस्ट ने फिर स...कभी उर्दू सिखना शुरू किया था ,आप की पोस्ट ने फिर से प्रेरित कर दिया ,मै तो यही कहूगीं <BR/>उर्दू कोठे की तवायफ नहीं मन्दिर मे स्थापित देवी है...आभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-37671951214677582962008-05-16T20:14:00.000+05:302008-05-16T20:14:00.000+05:30आप ने किसी कॉपीराइट का कोई उल्लंघन नहीं किया है। आ...आप ने किसी कॉपीराइट का कोई उल्लंघन नहीं किया है। आप ने किसी लेख के अंशों का प्रयोग अपनी बात को कहने के लिए किया है जो उचित है, और कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं है। <BR/>आप ने सही बात पकड़ी है। मेरे विचार से तो हिन्दी उर्दू दो भाषाएं हैं ही नहीं। एक ही भाषा के दो रूप हैं। इन में जो भिन्नता है वह इस की लिपि के प्रयोग के कारण और शब्दों के परहेज से उत्पन्न हुई है। लिपि से कोई फर्क नहीं पड़ता अगर हिन्दी या उर्दू रोमन में लिखी जाती है तो उस से भाषा पर कोई फर्क नहीं पड़ता। हम दोनों भाषाओं के शब्दकोषों को एक कर दें तो विश्व की कोई भी भाषा इस से बेहतर न हो पाएगी। वैसे लिप्यांतरण के जो प्रयास किये जा रहे हैं वे इस दीवार को तो गिराने ही वाले हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com