tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post7520565374581640305..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: अनर्थ हो सकता है अर्थ का अर्थ न जानने सेअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-47530440597187409922008-02-18T20:12:00.000+05:302008-02-18T20:12:00.000+05:30हिन्दी वाला बिजनेस स्टेण्डर्ड इलाहाबाद में आता ही ...हिन्दी वाला बिजनेस स्टेण्डर्ड इलाहाबाद में आता ही नहीं। शायद लखनऊ से नहीं छप रहा। <BR/>उसे देख कर आपकी बात से सहमति/असहमति बनेगी। <BR/>कारोबार जरूर मिस करता हूं - अबतक!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-54053301834137250192008-02-18T19:04:00.000+05:302008-02-18T19:04:00.000+05:30चंदू भाई, अब आप मेरी नज़र में प्रमोट होकर महफिल गु...चंदू भाई, अब आप मेरी नज़र में प्रमोट होकर महफिल गुलज़ार करने लगे हैं। अपने से लगनेवालों में वही लोग बचे हैं जो अभी तक संघर्षशील हैं। हो सकता है धीरे-धीरे ये सभी लोग भी महफिल गुलज़ार करने की स्थिति में पहुंच जाएं। तब मैं इस श्रेणी में अकेला रह जाऊंगा क्योंकि मुझे लगता है कि मैं तो ताज़िंदगी संघर्षशील ही रहूंगा। निरतंर कुछ ढूंढता हुआ परेशान-सा भटकता एक शख्स।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-15091879183363832412008-02-18T15:27:00.000+05:302008-02-18T15:27:00.000+05:30ऐसा क्या हुआ जो अब नहीं लगते अपने से?ऐसा क्या हुआ जो अब नहीं लगते अपने से?चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.com