tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post7416672004803046714..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: मैं प्रमोद महाजन का इंटरव्यू करना चाहता थाअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-73119962853988096972008-07-24T15:52:00.000+05:302008-07-24T15:52:00.000+05:30अच्छा लगा यकीनन मुझे उनकी बात रखने का अंदाज़ अच्छा ...अच्छा लगा <BR/>यकीनन मुझे उनकी बात रखने का अंदाज़ अच्छा लगता थाप्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-36551325562597857222007-10-31T23:01:00.000+05:302007-10-31T23:01:00.000+05:30एक पठनीय और विचारणीय पोस्ट!एक पठनीय और विचारणीय पोस्ट!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-15609341350206327112007-10-31T18:18:00.000+05:302007-10-31T18:18:00.000+05:30प्रमोद महाजन जी का मैं एक बार इंटरव्यू किया था दिल...प्रमोद महाजन जी का मैं एक बार इंटरव्यू किया था दिल्ली में। वे ऐसे नेता थे जो पत्रकारों से सहज ही बात कर लिया करते थे। वह पत्रकार भले हीं भाजपा विचार धारा से जुड़ा न हो। उनके बारे में सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर बहुत कुछ कहा जा सकता है लेकिन यहां मैं उनकी वामपंथी नेताओं के बारे क्या राय थी यह बताना चाहता हूं। उन्होंने बताया कि वे भी राजनीति में हैं और हमलोग भी लेकिन मैं इतना दावे से कह सकता हूं कि आमतौर पर वामपंथी नेता आज भी ईमानदार है।राजेश कुमारhttps://www.blogger.com/profile/03022479793930240428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-61849005518724785622007-10-31T07:36:00.000+05:302007-10-31T07:36:00.000+05:30वैसे अनिलजी आपके बारे में एक और रोचक तथ्य पता चला ...वैसे अनिलजी आपके बारे में एक और रोचक तथ्य पता चला कि "मैं भी बचपन में आदर्शवादी था। शाखा में जाकर नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि मैंने भी गाया था।"Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-46679793343281799152007-10-31T07:33:00.000+05:302007-10-31T07:33:00.000+05:30प्रमोद महाजन के जीवन चरित्र के गंदे पक्ष को ज्यादा...प्रमोद महाजन के जीवन चरित्र के गंदे पक्ष को ज्यादा उछाला-बताया जाता रहा है। लेकिन, मेरी उनसे एक-दो जो मुलाकात है, उसमें मुझे ये अंदाजा अच्छे से है कि महाजन के अंदर वो ताकत थी कि जमीन से जुड़ा कार्यकर्ता और कॉरपोरेट के साथ दूसरे दलों में भी उन्हें सबसे ज्यादा मानने वाले लोग क्यों थे। वजह सिर्फ राजनीतिक कौशल ही नहीं थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन में भाषण देने आए महाजन का एक सवाल उनके बारे में बताने के लए काफी है। भाजपा इलाहाबाद महानगर की उस समय के अध्यक्ष से उन्होंने पूछा कि आप क्या करती हैं उन्होंने कहा कि मैं तो, पूरी तरह से पार्टी के लिए ही समर्पित हूं। सिर्फ राजनीति करती हूं। उन्होंने दुबारा पूछा वही जवाब मिलने पर महाजन ने कहा यानी आप पार्टी को ही खा रही हैं। उनका साफ मानना था कि हर नेता की जीविका का कुछ अलग साधन होना ही चाहिए। महाजन अब नहीं रहे इसलिए वो कब भटके इस पर ज्यादा बात करना उचित नहीं होगा। वैसे, अनिलजी ने हमारे यहां रहते हुए प्रमोद महाजन की आखिरी विदाई का जो पैकेज लिखा था वैसा दूसरा पैकेज टीवी में मैंने अब तक नहीं देखा।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-51483230541169096122007-10-30T23:16:00.000+05:302007-10-30T23:16:00.000+05:30प्रवीण महाजन का ही ले लोवो प्रमोद थे तो ये प्रवीण ...प्रवीण महाजन का ही ले लो<BR/>वो प्रमोद थे तो ये प्रवीण हैं<BR/>मरने वाला देखो चला गया है<BR/>मारने वाला अब भी जिंदा हैअविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-20140746752606557502007-10-30T23:13:00.000+05:302007-10-30T23:13:00.000+05:30हर व्यक्ति में दो या अधिक पहलू होते हैं। प्रमोद मे...हर व्यक्ति में दो या अधिक पहलू होते हैं। प्रमोद में भी थे। अपने में हम निहारें तो बहुत कुछ होगा जिसे हम अप्रूव नहीं करते। बाबवजूद इसके कि अपने को हेय नहीं मानते।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-69732281174709419782007-10-30T21:32:00.000+05:302007-10-30T21:32:00.000+05:30मौका उचित है याद किया. अच्छा लगा. केस स्टडी तो खैर...मौका उचित है याद किया. अच्छा लगा. केस स्टडी तो खैर मिलती ही रहेंगी.शुभकामनायें.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-86635236370622023372007-10-30T20:54:00.000+05:302007-10-30T20:54:00.000+05:30सर, व्यक्ति रहता है तो उसके साथ अच्छाई ... बुराई भ...सर, व्यक्ति रहता है तो उसके साथ अच्छाई ... बुराई भी साथ चलती है ... शरीर के साथ छोड़ने के बाद उसके पोस्टमार्टम का औचित्य मेरे विचार में नहीं रह जाता क्योंकि वहां कुछ बदलने की गुंजाईश नहीं रहती। लिहाजा आपने जिस भी संदर्भ में प्रमोद महाजन को उद्ध़ृत किया उसके लिए किसी दलील की जरूरत नहीं है। मैं भी शिक्षक का बेटा हूं इसलिए प्रमोद महाजन का सफर आकर्षक तो जरूर लगता है।अनुराग द्वारीhttps://www.blogger.com/profile/14991464940848848022noreply@blogger.com