tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post7168774965546187556..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: हिचकते क्यों हैं, जमकर लिखिएअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-76413907207934958742007-09-17T20:57:00.000+05:302007-09-17T20:57:00.000+05:30"ये भी हो सकता है कि हमें लगे कि क्या लिखें, दूसरे..."ये भी हो सकता है कि हमें लगे कि क्या लिखें, दूसरे भी यही कुछ लिख रहे हैं।" इस दुविधा में मैं भी पहले रहता था, लेकिन फ़िर जैसा कि आपने कहा है कि हरेक "जेब्रा" अलग होता है, तब मैंने परवाह करना छोड़ दिया और जब भी समय मिलता है लिखता हूँ, विषयों की कोई कमी नहीं है, समय की कमी है...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-5321565617829576422007-09-17T19:53:00.000+05:302007-09-17T19:53:00.000+05:30तनावों से भरी आज की ज़िंदगी में लिखना अपने-आप में ...<B>तनावों से भरी आज की ज़िंदगी में लिखना अपने-आप में किसी थैरेपी से कम नहीं है।</B>सही है। इसीलिये हम लिखते रहते हैं और अपना तनाव दूसरों को दे देते हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-3918068473084746432007-09-17T19:03:00.000+05:302007-09-17T19:03:00.000+05:30तनावों से भरी आज की ज़िंदगी में लिखना अपने-आप में ...तनावों से भरी आज की ज़िंदगी में लिखना अपने-आप में किसी थैरेपी से कम नहीं है।<BR/><BR/><BR/>--गुरु जी यह ब्रह्म वाक्य है.गांठ बांध ली है.<BR/><BR/>बहुत सही बात कह रहे हैं.विषयों का कब आभाव है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-60192475540066267432007-09-17T18:28:00.000+05:302007-09-17T18:28:00.000+05:30"लेकिन मैं देख रहा हूं कि दिग्गज से दिग्गज लिक्खाड...<I>"लेकिन मैं देख रहा हूं कि दिग्गज से दिग्गज लिक्खाड़ भी कुछ समय के बाद चुक जाते हैं।"</I><BR/><BR/>ये तो सही कहा आपने, अच्छे-अच्छे लिक्खाड़ भी कुछ महीनों बाद ढीले पड़ जाते हैं। शुरु में सभी लोग धड़ाधड़ लिखते हैं लेकिन फिर धीमे पड़ने लगते हैं।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-69331367059557143312007-09-17T18:24:00.000+05:302007-09-17T18:24:00.000+05:30समय की ही तो समस्या है , लिखने और पढने दोनों ही क...समय की ही तो समस्या है , लिखने और पढने दोनों ही का मन बहुत करता है , लेकिन कैसे समय को बाँधे ? समीर लाल जी और अनूप जी को दाद देनी पडेगी , पता नही कैसे adjust कर लेते हैं ?Dr Prabhat Tandonhttps://www.blogger.com/profile/14781869148419299813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-33175048502093084842007-09-17T18:21:00.000+05:302007-09-17T18:21:00.000+05:30"इसीलिए कोई व्यक्तिगत फंसान न आए तो मैं तो रोज़ दो..."इसीलिए कोई व्यक्तिगत फंसान न आए तो मैं तो रोज़ दो पोस्ट लिखने लगा हूं। सुबह की पोस्ट अंदर की दुनिया पर और शाम की पोस्ट बाहर के संसार पर"<BR/><BR/><BR/>बहुत अच्छा ! अब एकाध दो लेख इस बात पर भी लिख डालों कि अन्य लोग भी कैसे इस रास्ते पर चलें -- शास्त्री जे सी फिलिप<BR/><BR/>मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,<BR/>2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-77785116332943579702007-09-17T17:42:00.000+05:302007-09-17T17:42:00.000+05:30कुछ भी हो, हमारे जैसों के पास समय की तो समस्या नही...कुछ भी हो, हमारे जैसों के पास समय की तो समस्या नही है।aarseehttps://www.blogger.com/profile/13270855138365991859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-11719703162423111372007-09-17T17:41:00.000+05:302007-09-17T17:41:00.000+05:30औरों की तो पता नहीं,परंतु मेरे पास विषयों की तो कम...औरों की तो पता नहीं,परंतु मेरे पास विषयों की तो कमी कभी होती नहीं. हां समय की कमी खलती है. जीवन की आपाधापी में इतना कुछ छूट जाता है, यदि ब्लौग पर लेखन न भी हो तो कुछ कमी नहीं. क्योंकि अपनी अपनी प्राथमिकतायें हैं.<BR/>पूरी ईमान्दारी से कहता हूं कि ब्लौग से पहले भी और कई महत्वपूर्ण काम हैं. <BR/>इसीलिये नही लिख पाता तो भी कोई अफसोस नहीं होता.<BR/> समय मिल गया तो लिख लिखा लिया, नहीं तो कोई बात नहीं.डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/01678807832082770534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-56798383308571309812007-09-17T14:37:00.000+05:302007-09-17T14:37:00.000+05:30ब्लॉगिंग बुरी बला है, लागी छुटे ना...विषयों का कहा...ब्लॉगिंग बुरी बला है, लागी छुटे ना...<BR/><BR/>विषयों का कहाँ अभाव है?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-43723483088532805582007-09-17T10:24:00.000+05:302007-09-17T10:24:00.000+05:30अनिल जी मेरा अनुभव कहता है एक बार जो यहां आया वो फ...अनिल जी मेरा अनुभव कहता है एक बार जो यहां आया वो फिर मुश्किल से ही जाता है. <BR/>और झटके में चला जाता है वह शायद ही लौटता हो.Sanjay Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/13133958816717392537noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-78760508039356459192007-09-17T10:01:00.000+05:302007-09-17T10:01:00.000+05:30सही कहा आपने.कम से कम मेरे लिये विषय का तो अभाव नह...सही कहा आपने.कम से कम मेरे लिये विषय का तो अभाव नहीं है लेकिन समय है कि मिलता ही नहीं.नौकरी की जद्दोजहद के बीच खुद को व्यक्त कर पाने की लालसा लिये अभी भी खड़े हैं जब भी समय मिले बस दाग दो मन के विचारों की तोप.Anonymousnoreply@blogger.com