tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post6894786693926661119..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: महा को-ऑपरेटिव हैं यहां के नेताअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-22313425287461788832007-07-12T23:40:00.000+05:302007-07-12T23:40:00.000+05:30मार-मार, जूता मार!मार-मार, जूता मार!azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-84052413581329120892007-07-11T12:48:00.000+05:302007-07-11T12:48:00.000+05:30संजय जी, यकीनन इसकी अवधारणा में कोई खोट है। लेकिन ...संजय जी, यकीनन इसकी अवधारणा में कोई खोट है। लेकिन कैसा राजनीतिक नेतृत्व इसे लागू कर रहा है, उस पर सदस्यों का वाकई कितना नियंत्रण है, उन्हें कितना इम्पावर किया गया है - इसी से ये सफल हो सकता है। रूस और चीन जैसे समाजवादी तक देशों में जिस तरह पार्टी ब्यूरोक्रेसी पनपी है, उसे देखकर महाराष्ट्र में कोई अनहोनी हुई,ऐसा मुझे नहीं लगता।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-78066188048857843402007-07-11T10:30:00.000+05:302007-07-11T10:30:00.000+05:30मेरी समझ यह कहती है कि कोआपरेटिव की अवधारणा में खो...मेरी समझ यह कहती है कि कोआपरेटिव की अवधारणा में खोट नहीं है. आज जब बरास्ता पूंजी संसाधनों को निजी हांथों का गिरवी बनाया जा रहा है, कोआपरेटिव के विचार को बचाने की जरूरत है. दुर्भाग्य से जिनके हाथों में यह विचार गया, उनकी दृष्टि संकुचित थी. <BR/>अगर को-आपरेटिव ब्रांड मैनेजमेंन्ट, स्किल मैंनेजमेनमेन्ट आदि कुछ बातों पर ध्यान दें तो भूमंडलीकरण से लड़ने में यह महत्वपूर्ण हथियार हो सकता है.Sanjay Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/13133958816717392537noreply@blogger.com