tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post6407597037367691235..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: नक्सली और श्री श्री की राज-नीति कलाअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-44213197786449035292008-03-07T00:24:00.000+05:302008-03-07T00:24:00.000+05:30रासायनिक खादों की जगह जैविक खेती स्वास्थ्य के लिए ...रासायनिक खादों की जगह जैविक खेती स्वास्थ्य के लिए भी और वातावरण के लिए भी. साथ ही सरकारी सहायता के ऊपर निर्भरता की बजाय आत्मनिर्भरता ही बेहतर है. श्री श्री रविशंकर के ये सन्देश वाकई काबिले तारीफ है.मुकेश बंसलhttps://www.blogger.com/profile/11728801819517475729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-69407875829845246732007-11-02T03:39:00.000+05:302007-11-02T03:39:00.000+05:30मेरा ऐसा मानना है कि श्री श्री रविशंकर जी के गुजरा...मेरा ऐसा मानना है कि श्री श्री रविशंकर जी के गुजरात के दंगों कि सिर्फ एक वजह बता रहे थे। एक धर्म के अतिवाद का दूसरे धर्म के अतिवाद में बदलना तय है। असल में कोई किसी को दंगे जैसा घृणित कार्य करने के लिये उकसा नहीं सकता, कहीं न कहीं दंगाइयों के मन में एक-दूसरे के धर्म के लिये द्वेष की भावना होगी। जो जरा सा मोका पाते हि भडक गई। इसे आप चिंगारी का भडकना कह सकते हैं। और हमारे राजनेताओं ने आग में घी का काम किया।<BR/>जहाँ तक किसानों से लिये गए वचन की बात है, उन्होने बिलकुल सही कहा है। सरकारी सहायता पर निर्भर होने के बजाय, किसानों को आत्मनिर्भर बनना चाहिये। नकदी फसल उगाने के बजाय, सहकारिता कि भावना से मिलजुल कर खाद्य फसलें उगानी चाहिये। सरकार का मुँह देखने से कुछ नहीं होगा किसानों को अपने पुरूषार्थ से आगे बढना होगा।Kavya Lahrihttps://www.blogger.com/profile/02299642129710036264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-74601132430351021232007-11-01T18:53:00.000+05:302007-11-01T18:53:00.000+05:30श्री श्री रवि शंकर को नहीं पता कि भूख क्या होती है...श्री श्री रवि शंकर को नहीं पता कि भूख क्या होती है। उन्हें सिर्फ चोचले बाजी करना आता है। अनिल जी आपने जो जानकारी दी उससे यही लगता है कि रवि शंकर जी के पहले जो श्री श्री लगा है वह केवल दिखावे के लिये है। मानव कल्याण से उनका कोई मतलब नहीं होता। इन्हें तो पता हीं नहीं होगा कि किसान क्यों आत्म हत्या कर रहें हैं। नक्सली क्या है। ये सिर्फ आर्ट ऑफ लिविंग के नाम पर धनवानों से पैसे बना सकता है। ऐसे हीं लोग धर्म को बदनाम करते हैं।राजेश कुमारhttps://www.blogger.com/profile/03022479793930240428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-80643443375165370762007-11-01T07:22:00.000+05:302007-11-01T07:22:00.000+05:30चौपट स्वामी की टिप्पणी मस्त है। मैं नक्सलियों के प...चौपट स्वामी की टिप्पणी मस्त है। मैं नक्सलियों के पक्ष में नहीं पर धर्म के कमर्शियलाइजेशन के भी खिलाफ हूं। <BR/>समाधान कहीं और तलाशना है समस्या का।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-43142449105972153692007-10-31T23:58:00.000+05:302007-10-31T23:58:00.000+05:30भई हमारी राय मानो तो एक बार आप भी जीने का तरीका सी...भई हमारी राय मानो तो एक बार आप भी जीने का तरीका सीखकर देखे सचमुच बङा आनंद है.और स्टिंग ओपरेशन के बारे में जो कहा वो कहां गलत है के हमेशा एक ही सहिष्णु क्यों बना रहे,सीधी सी गणित है आप भी चश्मा लगाकर देखना बंद करें.drdhabhaihttps://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-60157545456064276992007-10-31T23:30:00.000+05:302007-10-31T23:30:00.000+05:30प्रियंकर जी पते की बात कह गए!!प्रियंकर जी पते की बात कह गए!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-63714190109855066452007-10-31T23:13:00.000+05:302007-10-31T23:13:00.000+05:30आप हम चाहे जितनी आवाज उठायें-लोग भक्ति भाव से उनके...आप हम चाहे जितनी आवाज उठायें-लोग भक्ति भाव से उनके साथ लगे हैं बड़ी तादाद में. आखिर जिन्दगी जीने का तरीका बताते है-आर्ट ऑफ लिविंग. हमें तो आता ही नहीं जीना.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-200012808744024172007-10-31T23:11:00.000+05:302007-10-31T23:11:00.000+05:30समस्याए इतनी विकट होती जा रही है कि अब देश को 'मार...समस्याए इतनी विकट होती जा रही है कि अब देश को 'मार्शल आर्ट आफ लीविंग' की जरूरत है। :)Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-49318664175849325282007-10-31T22:56:00.001+05:302007-10-31T22:56:00.001+05:30यही तो जीने की कला है। बोले तो आर्ट आफ लिविंग है। ...यही तो जीने की कला है। बोले तो आर्ट आफ लिविंग है। प्रियंकरजी की बात से इत्तफ़ाक है!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-77815432279361162142007-10-31T22:56:00.000+05:302007-10-31T22:56:00.000+05:30यही तो जीने की कला है। बोले तो आर्ट आफ लिविंग है। ...यही तो जीने की कला है। बोले तो आर्ट आफ लिविंग है। प्रियंकरजी की बात से इत्तफ़ाक है!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-65329633022832372842007-10-31T20:37:00.000+05:302007-10-31T20:37:00.000+05:30अनिल जी, यह बड़ी समस्या है। हमारे धर्मगुरु टाइप के...अनिल जी, यह बड़ी समस्या है। हमारे धर्मगुरु टाइप के लोग इसी तरह का बयान देते हैं और ज्यादातर जनता पर उनका प्रभाव भी पड़ता है। कोई भी घर्मगुरु हो, हमेशा सत्ता, पूंजीवादियों और बूजुॆआ वर्ग से चिपका रहता है। उन्हीं से उनका जीवन चलता है, आय होती है और उन्हीं की जीवनशैली में जीते भी हैं। उन्हीं के लाभ के साथ लाभ कमाते हैं और उनके नुकसान से ही संतों का भी नुकसान होता है। आम लोग तो उनके मूर्खों की लिस्ट में शामिल होते हैं।Satyendra PShttps://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-14158156624241112982007-10-31T20:36:00.000+05:302007-10-31T20:36:00.000+05:30This comment has been removed by a blog administrator.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-46927776230462786252007-10-31T20:32:00.000+05:302007-10-31T20:32:00.000+05:30ये श्री श्री जो हैं, वे फ़्री फ़्री नहीं हैं . जरा उ...ये श्री श्री जो हैं, वे फ़्री फ़्री नहीं हैं . जरा उनके क्लाइंटेल पर नज़र दौड़ाइए . सब उच्च-मध्य और उच्च वर्ग के खाए-अघाए लोग हैं . शहर के जिन इलाकों में कार्यक्रम होते हैं उनका सोशिओ-इकनॉमिक प्रोफ़ाइल भी ध्यान देने योग्य है . इधर चौंचला-गुरुओं की मांग खासी बढी है . थोड़ा योग, थोड़ा संगीत,थोड़ी भक्ति और थोड़ा अध्यात्म के कॉकटेल के साथ रोकड़े की अपरिमित गुंजाइश तथा नेटवर्किंग में ही इन दिनों श्री का निवास है . जहां श्री , वहां श्री श्री .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-53833167416247649992007-10-31T19:53:00.000+05:302007-10-31T19:53:00.000+05:30श्री श्री अपना यह प्रवचन यवतमाल ज़िले के बोधबोदन ग...श्री श्री अपना यह प्रवचन यवतमाल ज़िले के बोधबोदन गांव में कर रहे थे। इस अकेले गांव में 12 किसान खुदकुशी कर चुके हैं। गुरु जी ने गुरुदक्षिणा के रूप में गांव वालों से यह वचन लिया कि वे कृषि संकट से खुद लड़ेंगे। सरकार की तरफ नहीं देखेंगे और कोई भी आत्महत्या नहीं करेगा।<BR/><BR/>ऐसा कह कर श्री श्री ने देशवासियों को भारत की चित्ति और विराट से साक्षात्कार कराया है। वास्तव में सरकार के भरोसे कुछ नहीं होता है। देशवासियों को खुद अपने पुरूषार्थ से आगे बढना होगा। समाजवाद और नेहरूवाद का फल हम भुगत चुके है। <BR/><BR/>वास्तव में धन्य हैं श्री श्री रविशंकर जी।संजीव कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/11879095124650917997noreply@blogger.com