tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post5767740468768236891..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: अंश भर अमरत्व की आसअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-64562078453810098902013-11-09T16:11:23.789+05:302013-11-09T16:11:23.789+05:30बहुत खूब !
मरने के बाद का इंतजाम :)बहुत खूब !<br />मरने के बाद का इंतजाम :)सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-53345222800119463932007-08-16T11:35:00.000+05:302007-08-16T11:35:00.000+05:30दादा दोस्तोएव्स्की की राय अमरता के बारे में यह थी ...दादा दोस्तोएव्स्की की राय अमरता के बारे में यह थी कि एक बार जब आपका निर्जीव से सजीव हो गये तो फिर मृत्यु संभव ही नहीं है। अमरता आपके अस्तित्व के साथ ही जुड़ी हुई आती है। एक बार आ गए तो आप पूरी तरह फिर कभी नहीं जाएंगे। अपनी संतानों और फिर उनकी संतानों पर छपी अपनी जेनेटिक्स में, किसी के दिमाग में दर्ज किसी कड़वी या मीठी स्मृति में, किसी की जुबान पर अनजाने में चढ़ गए अपने किसी शब्द, मुहावरे या लहजे में या अन्य किसी भी शक्ल में आप का कुछ न कुछ यहां जरूर अटका रह जाता है- भले ही आपकी मृत्यु गर्भ में हो गई हो या 116 साल की उमर बिताकर। यही सहज अमरता है और इसे हासिल करने के लिए मनुष्य ही नहीं, हर जीव छटपटाता है। इससे इतर किसी ज्यादा गहरी और ज्यादा फैली हुई अमरता की ख्वाहिश अधिक से अधिक जमीन घेर लेने, सरमाया खड़ा कर देने की सामंती-पूंजीवादी इच्छा के समतुल्य है और इसके प्रति मेरे मन में कोई सहानुभूति नहीं है।चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-69236871643362720672007-08-16T10:44:00.000+05:302007-08-16T10:44:00.000+05:30यूरोपीय नगर-प्रमुख का प्रसंग अत्यन्त रोचक है।धन्यव...यूरोपीय नगर-प्रमुख का प्रसंग अत्यन्त रोचक है।धन्यवाद।अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.com