tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post4853037703045373288..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: लफ्ज़ पाश के, आत्मा हमारीअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-79745557193129565762007-08-08T18:16:00.000+05:302007-08-08T18:16:00.000+05:30बिल्कुल सही, भाई.बिल्कुल सही, भाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-25149395310876508142007-08-08T13:05:00.000+05:302007-08-08T13:05:00.000+05:30पाश की याद के लिए धन्यवाद.पाश की याद के लिए धन्यवाद.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-52377171059222220982007-08-08T11:36:00.000+05:302007-08-08T11:36:00.000+05:30सब कुछ सचमुच का -- एकदम सच्चा -- देखने-दिखाने के...सब कुछ सचमुच का -- एकदम सच्चा -- देखने-दिखाने के लिए छद्म और आवरण छोड़ना पड़ता है . पर भाई लोग वह छोड़ना नहीं चाहते . वे चित्त भी अपनी और पट्ट भी अपनी के सिद्धांत पर चलते हुए दोनों हाथों में लड्डू रखना चाहते हैं . तब पाश और उनकी कविता उनके किस काम की .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-70390085994100922432007-08-08T09:55:00.000+05:302007-08-08T09:55:00.000+05:30"हम ज़िंदगी, बराबरी या कुछ भी औरइसी तरह सचमुच का च..."हम ज़िंदगी, बराबरी या कुछ भी और<BR/>इसी तरह सचमुच का चाहते हैं"<BR/><BR/>मैं आप का अनुमोदन करता हूं -- शास्त्री जे सी फिलिप<BR/><BR/>हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है<BR/>http://www.Sarathi.infoShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.com