tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post4688822810524253092..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: क्या लिखूं, कैसे लिखूं, कब लिखूं और क्यों लिखूं?अनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-980289154629585062013-11-12T09:21:16.460+05:302013-11-12T09:21:16.460+05:30पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश...पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!<br />कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !<br />ब्लॉग बुलेटिन इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2013/11/2013-6.html" rel="nofollow"> प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (6) </a> मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !<br /><br />ब्लॉग बुलेटिनhttps://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-65487538964588964912008-04-14T20:52:00.000+05:302008-04-14T20:52:00.000+05:30सिर्फ इतना कहना चाहती हूँ कि दुनिया के सबसे ज्यादा...सिर्फ इतना कहना चाहती हूँ कि दुनिया के सबसे ज्यादा रचनात्मक लोग, अपनी तमाम सदिच्छा के बावजूद, किसी भी संगठन मे ताउम्र नही रह पाये. समूह की गति कितनी भी जंतांत्रिक हो, विचार कितने भी उन्नंत क्यो न हो, सबसे ताल-मेल बिठाते-बिठाते, मूल मंतव्य खो जाता है, और य्थास्थिति मे देर सबेर समंवय का खतरा हमेशा रहता है.<BR/>रचनात्मक लोग इसी ठहराव को तोडने की पहल करते है. सचेत करते है, और विरोध का शिकार भी होते है. और इन्ही किन्ही अवस्था मे आप है, आपको रचनात्मक्ता के नये आयाम मिले, और विचार और य्थार्थ के इस द्वन्द मे आप जो देख पा रहे है, वो और साफ हो, और आपके सारोकार बडे सामाजिक सरोकार की पहल की दिशा मे जाय, ऐसी शुभ कामना है.स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-58668883380220957382008-04-12T19:58:00.000+05:302008-04-12T19:58:00.000+05:30लिखें, मोर मोर मोरलिखें, मोर मोर मोरअजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-78093373653251017762008-04-11T13:05:00.000+05:302008-04-11T13:05:00.000+05:30संजय जी का कहना सही है. मौन होना ही सबसे बेहतर विक...संजय जी का कहना सही है. मौन होना ही सबसे बेहतर विकल्प है. पर लिखते रहें.vikas pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02670834610081293845noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-33617512151095439352008-04-11T10:08:00.000+05:302008-04-11T10:08:00.000+05:30आपने लिखा है- 'मोर को नाचना ही है तो बंद कमरे में ...आपने लिखा है- 'मोर को नाचना ही है तो बंद कमरे में भी नाच सकता है। जंगल में नाचना कोई ज़रूरी तो नहीं?'<BR/><BR/>अब आप जानी वाकर पर फिल्माए गए इस गाने से भी प्रेरणा नहीं ले सकते हैं- "जंगल में मोर नाचा किसी न देखा. हम थोड़ी-सी पीकर ज़रा झूमे, तो सबने देखा", क्योंकि अपने 'जंगल में मोर नाचने' के मुहावरे का उल्टा इस्तेमाल कर लिया है. अब आपसे मोर भी खफा हो जायेगा. ... हा!हा!हा! <BR/><BR/>वैसे आपको बता दूँ कि मैं टिप्पणी भले नहीं करता लेकिन अक्सर रघुराज मोर को नाचते देखा करता हूँ. सो प्लीज़ कीप राइटिंग मोर एंड मोर.विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-82843138109576623192008-04-11T08:28:00.000+05:302008-04-11T08:28:00.000+05:30अच्छा लगा अनिल जी...ऎसे ही लिखते रहें...छोड़ रख्खा ...अच्छा लगा अनिल जी...ऎसे ही लिखते रहें...<BR/><BR/>छोड़ रख्खा हो सबने जहाँ<BR/>अंधेरा सूरज के भरोसे<BR/>दिया वहाँ हर एक का<BR/>किसी सूरज से कम नहींReetesh Guptahttps://www.blogger.com/profile/12515570085939529378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-29253616773017881142008-04-11T01:34:00.000+05:302008-04-11T01:34:00.000+05:30डॉ. जैन की बात से पूरी तरह से सहमत....हालाँकि कई द...डॉ. जैन की बात से पूरी तरह से सहमत....हालाँकि कई दिनों से हम भी लिखने में नियमित नहीं हैं...लेकिन आप तो लिखते रहिए... एक भी पढ़कर अगर कुछ अमल कर पाएगा तो समझिए लिखना सफल हो गया.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-63824866238010453152008-04-11T00:05:00.000+05:302008-04-11T00:05:00.000+05:30आप करीब आ पहुंचे हैं. मौन को और बढ़ा दीजिए. संभव ह...आप करीब आ पहुंचे हैं. मौन को और बढ़ा दीजिए. संभव हो तो हर प्रकार की अभिव्यक्ति पर कुछ दिन के लिए पूरी तरह से विराम लगा दीजिए. कुछ अच्छा घटित हो जाएगा.<BR/><BR/>जीवन ऐसे मौके कम ही देता है. इसका उपयोग करिए.Sanjay Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/13133958816717392537noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-24114834561938958422008-04-10T23:00:00.000+05:302008-04-10T23:00:00.000+05:30लिखिए इसलिए कि कई लोग कुछ पढ़ने की उम्मीद में आपक...लिखिए इसलिए कि कई लोग कुछ पढ़ने की उम्मीद में आपके दरवाजे पर आकर रोज झांक जाते हैं। आपके चिट्ठी की उम्मीद में डाकिए का बस्ता टटोलकर देखते हैं। चिट्ठी ज़रूर होनी चाहिए चाहे उसमें कुछ भी लिखा हो। आपके पाठक कम लिखा अधिक बाँचने वाले लोग हैं और जो पत्र को भी तार का दर्जा देते हैं।आनंदhttps://www.blogger.com/profile/08860991601743144950noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-52712456904593331422008-04-10T21:50:00.000+05:302008-04-10T21:50:00.000+05:30मोर के नाचने से बरसता है - जंगल में दूर दूर, कमरे ...मोर के नाचने से बरसता है - जंगल में दूर दूर, कमरे में कम कम - बीच का एक सफ़ा पढ़ के आँखें बंद कीं फिर आँखें खोल कर एक बार फिर पढ़ा - [आपको मालूम होगा कौन सा!!] - सादर मनीषAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-2408870328810138392008-04-10T19:48:00.000+05:302008-04-10T19:48:00.000+05:30बात तो पते की है ,लेकिन लिखने के लिए विषय और मुद्द...बात तो पते की है ,<BR/>लेकिन लिखने के लिए <BR/>विषय और मुद्दे कभी ख़त्म नहीं होते .<BR/>देखिए न आपने लिखने के <BR/>संशय पर ही लिख दिया <BR/>वह भी इतना मर्मस्पर्शी,इतना धारदार !<BR/><BR/>इसलिए भाई साहब !<BR/>लिखें कि लिखना ज़रूरी है जिंदगी के लिए !<BR/>लिखें कि लिखना ज़रूरी है बंदगी के लिए !!Dr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-82693731619582507032008-04-10T19:42:00.000+05:302008-04-10T19:42:00.000+05:30अच्छा लिखते हैं। बस ऐसे ही लिखते रहें।अच्छा लिखते हैं। बस ऐसे ही लिखते रहें।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-34163928286246122932008-04-10T18:21:00.000+05:302008-04-10T18:21:00.000+05:30भाई सोचे नही जब लिखने बैठे है तो देर क्या या तो आप...भाई सोचे नही जब लिखने बैठे है तो देर क्या या तो आप अपनी सुबह से शाम तक की दिनचर्या लिखना शुरू कर दे या देश के किसी महापुरुष की आत्मकथा लिखना शुरू कर दे मन भी शांत हो जावेगा .तीसरी आंखhttps://www.blogger.com/profile/17326026042106304025noreply@blogger.com