tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post4685341041104671111..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: बड़ी हत्यारी और बेरहम है तुम्हारी दिल्लीअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-15989564727974750522008-03-27T02:50:00.000+05:302008-03-27T02:50:00.000+05:30हम कहा तनी चकिया पीसौ,उइ लै बैठी सिंगारुदान,मुंह क...हम कहा तनी चकिया पीसौ,उइ लै बैठी सिंगारुदान,मुंह कीन्ह चौथि के करवा जस,ककुआ अजग्यवी द्याखो तो,हम कहा तनि दै देउ नौनु,उन्ह बक्का अस मुंह बाइ दीन्हि,हम रूखी सूखी धमकि गयिन,ककुआ अजग्यवी द्याखो तो,अनिल कहें तौ आगि लगे,और राम कहें रघुराज जगें,इन दौनो को साथ लीन्ह,इनका ब्लगवा द्याखो तो !!!रामेन्द्र सिंह भदौरियाhttps://www.blogger.com/profile/16542171789034654192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-81366857694381247372008-03-25T01:27:00.000+05:302008-03-25T01:27:00.000+05:30क्या कहे आज तो कुछ प्रतिक्रिया नही दी जा सकती. बस ...क्या कहे आज तो कुछ प्रतिक्रिया नही दी जा सकती. बस अफ़सोस जनक घटना है, दिल्ली की आत्मा मर चुकी है.vikas pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02670834610081293845noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-90379323592559392972008-03-24T23:15:00.000+05:302008-03-24T23:15:00.000+05:30ब्लॉगवाणी पर उपर नीचे चक्कर लगाते आप की पोस्ट दर्ज...ब्लॉगवाणी पर उपर नीचे चक्कर लगाते आप की पोस्ट दर्जन बार देखी। विवरण देख कर खोलने की हिम्मत नहीं हुई। फिर देखा हम भी तो इन्हीं चीजों के बारे में लिखते हैं और लोग कैसे पढ़ते होंगे। यही सोच कर पोस्ट खोली। अब जमाने पर गुस्सा सातवें आसमान पर है। इस पूंजीवाद ने दुनियाँ को इतना जालिम बना दिया है कि इस के अवसान के अलावा कोई चारा नहीं। अपने छल कपट से इस ने अपनी उम्र जरुर बढ़ा ली है पर यह भी अमर तो नहीं है। जो पैदा हुआ है वह मरेगा। अब तो जमाने का खोल बदलने का वक्त शायद नजदीक ही है?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-77382838584859529922008-03-24T18:23:00.000+05:302008-03-24T18:23:00.000+05:30वैभव की दीवानी दिल्लीकृषक मेघ की रानी दिल्लीअनाचार...वैभव की दीवानी दिल्ली<BR/>कृषक मेघ की रानी दिल्ली<BR/>अनाचार, अपमान, व्यंग्य की<BR/>चुभती हुई कहानी दिल्ली।Pankaj Parasharhttps://www.blogger.com/profile/06831190515181164649noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-71143582814736012142008-03-24T15:13:00.000+05:302008-03-24T15:13:00.000+05:30हम सब के बीच मे ही ऎसे भी लोग हे,जो थोडी सी खुशी क...हम सब के बीच मे ही ऎसे भी लोग हे,जो थोडी सी खुशी के लिये दुसरो का घर भी उजाडने मे हिचक मह्सुस नही करते,ओर पता नही केसे किसी के दुख पर यह कह्कहे लगा कर हसंते हे, ओर जशन मनाते हे,राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-4726609921929822022008-03-24T13:58:00.000+05:302008-03-24T13:58:00.000+05:30क्या कहूं अनिल जी, ऐसी घटनाएं जब भी होती है हमें स...क्या कहूं अनिल जी, <BR/>ऐसी घटनाएं जब भी होती है हमें सोचने को मजबूर कर देती है हम सोचते ही रहते हैं और इस बीच और न जाने कितनी ही घटनाएं हो जाती है।<BR/>हम सोचने के अलावा क्या कुछ और करेंगे!<BR/>लेकिन क्या, यही तो समझ नही आता,Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-20872927097274985802008-03-24T11:19:00.000+05:302008-03-24T11:19:00.000+05:30दर्दनाक!दर्दनाक!Jagdish Bhatiahttps://www.blogger.com/profile/17093503828934988942noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-51355061057634226572008-03-24T11:13:00.000+05:302008-03-24T11:13:00.000+05:30भागती दुनिया मे क्या दिल्ली ,क्या मुम्बई की परख हो...भागती दुनिया मे क्या दिल्ली ,क्या मुम्बई की परख हो , आदमी सिकुड़ गया है या फ़िर चलता फिरता लाश है . हम रोज आंसू निकाल सकते हैं लेकिन दर्द भरी दास्ताँ सुनकर ,टीवी ,सिनेमा ,अखबार ,ब्लॉग पढ़ कर .पर सजीव <BR/>घटना के वक्त हम सब निर्जीव हो जाते है . हम सब जिंदा कहाँ हैं ?संजय शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06139162130626806160noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-87979271544217843842008-03-24T10:53:00.000+05:302008-03-24T10:53:00.000+05:30सुबह -सुबह इतनी मार्मिक कहानी पढ़कर दिल भर आया।दिल...सुबह -सुबह इतनी मार्मिक कहानी पढ़कर दिल भर आया।<BR/>दिल्ली अब दिलवालों की नही रह गई लगती है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.com