tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post4416075639432671868..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: गेस्टापो और स्टाज़ी तक को मात दे रहे हैं मोदीअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-9081444660525040612008-03-06T20:22:00.000+05:302008-03-06T20:22:00.000+05:30अपने लिये सुरक्षा का इंतजाम करना गलत नहीं लेकिन बह...अपने लिये सुरक्षा का इंतजाम करना गलत नहीं लेकिन बहुत ज्याद से भी आगे जाकर सुरक्षा का इंतजाम करना एक सवाल जरुर खड़ा करता है। सभी जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी का सिंहासन लाशों की ढेर पर खड़ा हुआ है। इसके अलावा दो तिहाई से अधिक भाजपा के वरिष्ट नेता मोदी के खिलाफ हैं जो चुनाव के दौरान खुलकर देखने को मिले। हरेन् पांडया भी भाजपा के कदावर नेता थे लेकिन उनकी हत्या हो गई। शायद यही डर के कारण मोदी जी एक ऐतिहासिक जासूसी का जाल फैला चुके हैं। अत्यधिक सुऱक्षा के कारण होते है दूसरे से डर अब मोदी जी को किससे खतरा है यह जांच का विषय हो सकता है।या कोई नई मंशा तो जैसा कुछ साल पहले हो चुका हो जिसमें जमकर कत्लेआम हुये।राजेश कुमारhttps://www.blogger.com/profile/03022479793930240428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-44760474551656487352008-03-06T19:28:00.000+05:302008-03-06T19:28:00.000+05:30क्यो मजाक करते हो ४/५०० आदमियो से चप्पे चप्पे पर न...क्यो मजाक करते हो ४/५०० आदमियो से चप्पे चप्पे पर नजर..बच्च भी पढ कर हस देगा मेरे भाई अब तो मोदी विरोध की केचुली उतार फ़ेको अगले चुनाव अभी पाच साल दूर है पत्रकार भाई..:)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-36172739657729374992008-03-06T11:13:00.000+05:302008-03-06T11:13:00.000+05:30अनिल भाई, राजनीति का पहला उसूल है - "आ...अनिल भाई,<BR/> राजनीति का पहला उसूल है - "आप स्वयम क्या कर रहे है से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है कि आप के आस पास क्या हो रहा है". शासक को अपने इर्द गिर्द नज़र रखना आवश्यक होता है.सूचना और दंड शासन के नेत्र और भुजा होते है. क्या आपको नहीं लगता कि स्वतंत्रता के बाद हमारे शासक नेताओं ने यदि खुफिया तंत्र को मजबूत बनाया होता तो ना ही हमें चीन से हारना पड़ता, ना ही हम अपने पड़ोस में एक विरोधी देश का अस्तित्व स्वीकारने को मजबूर होते. कारगिल की घटना खुफिया तंत्र की लापरवाही का ही नतीजा थी. प्रशासन और समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार हमारे सहृदय नेताओं के खुफिया तंत्र को तवज्जो न देने का दुष्परिणाम है जिसे हम आज पानी पी-पी कर कोसते है. खुफिया तंत्र एक राज्य का एक आवश्यक अंग है परन्तु उससे प्राप्त जानकारियों का उपयोग यदि व्यक्तिगत या राजनैतिक द्वेष को निपटाने के लिए किया जाता है तो यह सरासर गलत है तथा राजनैतिक सत्ता का दुरुपयोग है.निशाचरhttps://www.blogger.com/profile/17104308070205816400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-87390790743411423302008-03-05T22:15:00.000+05:302008-03-05T22:15:00.000+05:30गोल माल हे सब गोल माल हे,सीधे रास्ते की टेडी चाल ह...गोल माल हे सब गोल माल हे,सीधे रास्ते की टेडी चाल हे...राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-32424520444439373032008-03-05T21:32:00.000+05:302008-03-05T21:32:00.000+05:30एक तो अपनों का डर और उस पर से एकाकीपन..दोनों ही भय...एक तो अपनों का डर और उस पर से एकाकीपन..दोनों ही भयाक्रांत करने को काफी हैं.<BR/><BR/> मगर यह सब हल्ला ज्यादा काम कम वालों की उड़ाई सी बातें लगती हैं..राजनित में यह सब इल्जाम लगना और वो भी मोदी जैसे जन पसंद नेता के उपर-जरा भी आश्चर्य नहीं होता.<BR/><BR/>थोड़ा इन बातों का स्तयापन होने का इन्तजार करने में कोई बुराई नहीं है निष्कर्ष पर पहूँचने के पहले.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-26528262705627292332008-03-05T21:20:00.000+05:302008-03-05T21:20:00.000+05:30एक निम्न स्तरीय article (mumbai mirror) को लेकर इत...एक निम्न स्तरीय article (mumbai mirror) को लेकर इतना हल्ला गुल्ला पोस्ट कुछ जंचती नहीं. कमाल के आंकडे पेश किए हैं इस पेपर ने. क्या ये सब CM Office ने जारी किए हैं?Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-74387840745629737732008-03-05T21:17:00.000+05:302008-03-05T21:17:00.000+05:30बुरा, बुरा ही होता है। पर इस बार भी अंगुली आखिर मो...बुरा, बुरा ही होता है। पर इस बार भी अंगुली आखिर मोदी पर ही क्यों उठी ? अधिक वक्त नहीं बीता जब अमर सिंह के साथ उत्तर प्रदेश समेत देश की कई और बड़ी राजनैतिक हस्तियां किसी और पर यही आरोप लगा रहीं थीं...हां वो खर्च का आंकड़ा जरूर नहीं जुटा पाई थीं। काश उस वक्त भी...? हालांकि सरकारी तंत्र के बेजा इस्तेमाल की एक और इबारत पसंद आई।Sandeep Singhhttps://www.blogger.com/profile/17906848453225471578noreply@blogger.com