tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post4259191917974205636..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: अच्छी-अच्छी बातों को पटरा कर देती है ज़िंदगीअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-51234796404251092892008-09-06T17:14:00.000+05:302008-09-06T17:14:00.000+05:30अनिल जीबहुत सी बातेँ हैँ जो सब सोचते हैँ, समझते है...अनिल जी<BR/>बहुत सी बातेँ हैँ जो सब सोचते हैँ, समझते हैँ लेकिन उस पर टिप्पणी करने से कतराते हैँ. आप बेबाकी से कह डालते हैँ और क्या होता है, दिल्ली के प्रीत विहार बस स्टैँड को बेहतर पता है. इमानदार आदमी कहीँ नहीँ टिकने दिया जाता. उदाहरण आपके आस-पास बिखरे हैँ.<BR/>सँगीता पुरी जी को मैँ नहीँ जानता, लेकिन कहना चाहूँगा, निगेटिविटी को बाहर निकालने की सलाह देने वाले अमूमन अपने अँदर निगेटिविटी सँजोए रखते हैँ.<BR/><BR/>सँदीपsandeephttps://www.blogger.com/profile/12860455590279009245noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-34395578155834494092008-09-05T19:23:00.000+05:302008-09-05T19:23:00.000+05:30दोगलापन के गले बगैर आपकी कही खरी-खरी को समझ पाना आ...दोगलापन के गले बगैर <BR/>आपकी कही खरी-खरी को <BR/>समझ पाना आसान नहीं है.<BR/><BR/>फिर भी कहने और करने के बीच के<BR/>फासले के सबब की दमदार <BR/>पड़ताल की है आपने...<BR/>ऊपर अन्ग्रेज़ी वाली टिप्पणी में <BR/>दिया गया द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का हवाला <BR/>और द्विवेदी जी की टिप्पणी में जो मर्म है <BR/>उसकी रौशनी में भी आपकी कलम का <BR/>फलसफ़ा खुल-सा रहा है.<BR/>===============================<BR/>आभार<BR/>डॉ.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-9774277025804236462008-09-05T18:31:00.000+05:302008-09-05T18:31:00.000+05:30"Sangeeta Puri ji, Today or tomorrow we shall have..."Sangeeta Puri ji, Today or tomorrow we shall have to smash what is called ' ECONOMIC DETERMINATION 'JAGSEERhttps://www.blogger.com/profile/11579517883697487576noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-22297041693430065412008-09-05T18:18:00.000+05:302008-09-05T18:18:00.000+05:30It was yesterday when while surfing net I came acr...It was yesterday when while surfing net I came across your blogs. They all are thought provoking. I am just trying to understand and assimilate them and it may take a long time to do so as you have referred Method of Dialectical Materialism to understand a phenomenon thoroughly not in isolation.<BR/>Marxism is the guide to what we do.Ideologically the history of class struggle has been at loss as no debate of this type as you have been doing at your blogs was initiated by the Marxists.Amongst so many others,this one has been a reason not to understand the dynamics of Indian society.<BR/>Once again a lot of thanks for all your blogs.JAGSEERhttps://www.blogger.com/profile/11579517883697487576noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-54848748086964575812008-09-05T17:44:00.000+05:302008-09-05T17:44:00.000+05:30विचारों को प्रकट करने वाले उन के लिए कोई काम नहीं ...विचारों को प्रकट करने वाले उन के लिए कोई काम नहीं करते या काम के दौरान अलग रवैया अपनाते हैं तो उन विचारों का कोई अर्थ नहीं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-29050272620592448942008-09-05T17:38:00.000+05:302008-09-05T17:38:00.000+05:30आपने लिखा...उन लोगों के पास तो कुछ भी नहीं टिकता ज...आपने लिखा...<BR/>उन लोगों के पास तो कुछ भी नहीं टिकता जिनकी जीवन स्थितियां ही अवसरवाद की देन हैं।<BR/><BR/>चारों तरफ नज़र दौड़ाने पर...मुझे तो सिर्फ ऐसे ही लोग सफल नज़र आते हैं,<BR/>उसके अलावा जितना कुछ आपने कहा मुझे भी ऐसा ही लगता है,दुनिया मुझे भी नज़र आती है, लेकिन जब मैं ये सब कहती हूं तब कुछ कथित बुद्धिजीवी कहते हैं अपना दिमाग दुरुस्त करिए कुछ अच्छा पढिए और दिमाग से निगेटिविटी निकालिए... मैं समझ नहीं पाती,मेरी सोच गलत है या उनके हिसाब से मेरी सोच नहीं है,इसलिए मैं गलत हूं....।महुवाhttps://www.blogger.com/profile/12285702566991211317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-28818768925137069892008-09-05T11:31:00.000+05:302008-09-05T11:31:00.000+05:30आपने सच कहा कि सिद्धांत या उपदेश सिर्फ सुनाने या...आपने सच कहा कि सिद्धांत या उपदेश सिर्फ सुनाने या दूसरों को देने के लिए ही रह गया है, अपनाने या अमल में लाने के लिए नहीं। मै नहीं पूछूँगा कि ऐसा कब तक चलेगा।जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-76137257928092133242008-09-05T10:47:00.000+05:302008-09-05T10:47:00.000+05:30सच्चे रास्ते में चलकर शायद आज जीवनयापन भी ढंग से न...सच्चे रास्ते में चलकर शायद आज जीवनयापन भी ढंग से न हो सके। यही माहोल बन गया हैसंगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-65572138970860454602008-09-05T10:33:00.000+05:302008-09-05T10:33:00.000+05:30"माज की उत्पादन प्रक्रिया में, रचनाशीलता के कर्म म..."माज की उत्पादन प्रक्रिया में, रचनाशीलता के कर्म में आपकी यथास्थिति क्या बनती है, मान-सम्मान ओहदा बनाए रखने के लिए ज़रूरी क्या है, इसी से तय होते हैं आपके जीवन के व्यावहारिक विचार। बाकी सब सैद्धांतिक लफ्फाज़ी है, स्वांग है।"<BR/><BR/>आपने बहुत व्यवहारिक बात लिखी है। सच्ची बात हमेशा दिल को अच्छी लगती है। और हाँ, हिन्दुस्तान के ब्लॉग चर्चा में भी आपका जिक्र बहुत खूबसूरत ढंग से देखने को मिला। बधाई।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.com