tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post40896745874943257..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: कहानी से कहीं ज्यादा घुमावदार है ज़िंदगीअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-48030279405393943552007-10-25T12:07:00.000+05:302007-10-25T12:07:00.000+05:30इस तरह के मामलों में मुकदमा वापस लेने का अख्तियार ...इस तरह के मामलों में मुकदमा वापस लेने का अख्तियार सरकार को ही होता है, और वह बहुत-से मामलों में ऐसा करती भी रही है, इसलिए मानसिक रोगों से ग्रसित अपराधियों/अभियुक्तों के मामलों में सरकार को संवेदनशीलता और तत्परता से ऐसा करने की संजीदगी दिखानी चाहिए। <BR/><BR/>बात केवल गुजरात की नहीं है, ऐसा पूरे देश भर में है। जेलों में सजा भोग रहे मानसिक रोगों से ग्रस्त ऐसे कैदियों बहुत बड़ी संख्या है।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-66196006831023521472007-10-25T05:40:00.000+05:302007-10-25T05:40:00.000+05:30ममला वास्तव में दुखद है। पर सरकार को लपेटने की बजा...ममला वास्तव में दुखद है। पर सरकार को लपेटने की बजाय मोदी का नाम न लेकर विवादास्पद होने से बचा जा सकता था।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-68143796835657525022007-10-25T04:54:00.000+05:302007-10-25T04:54:00.000+05:30अनिल जी,आपके मोदी के उल्लेख को मैं भी कटाक्ष ही मा...अनिल जी,<BR/>आपके मोदी के उल्लेख को मैं भी कटाक्ष ही मान रहा था, जब तक खुलासा दिया। वैसे, बदलाव तो प्रणाली में होना चाहिए, और ऐसे उदाहरण ही प्रणाली में बदलाव प्रेरित कर सकते हैं।<BR/><BR/><A HREF="http://devanaagarii.net/hi/alok/blog" REL="nofollow">आलोक</A>आलोकhttps://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-50586179655150610222007-10-24T21:47:00.000+05:302007-10-24T21:47:00.000+05:30सागर भाई, गलती बताने के लिए धन्यवाद। नाम सुधार दिय...सागर भाई, गलती बताने के लिए धन्यवाद। नाम सुधार दिया। और जहां तक नरेंद्र मोदी को खींचने की बात है तो राज्य में उनकी सरकार है और सरकार ही इस मामले को वापस ले सकती है अपने सरकारी वकील के जरिए, जिसके पास ऐसा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का पर्याप्त आधार है।<BR/>समीर भाई, यह न्यायपालिका में दखल नहीं, बल्कि सरकार के मुखिया की संवेदनशीलता का सवाल है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-62486937868079034632007-10-24T21:31:00.000+05:302007-10-24T21:31:00.000+05:30ऐसे कितने ही कानजी भाई कोळी ( सही उच्चारण यही है ...ऐसे कितने ही कानजी भाई कोळी ( सही उच्चारण यही है कांजि नहीं) अलग अलग जेलों में सड़ रहे होंगे, इसमें दोष किसका है न्यायपालिका का या किसी राज्य के मुख्यमंत्री का? भले ही वह बुद्धदेव भट्टाचार्य हों या नरेन्द्र मोदी।<BR/> मैं भी समीरलाल जी से सहमत होते हुए प्रार्थना करता हूँ कि न्यायपालिका कानजी भाई जैसे सभी पीड़ितों के साथ न्याय करे।Sagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-49601428442491799272007-10-24T21:20:00.000+05:302007-10-24T21:20:00.000+05:30भूपत कांजिभाई कोली की मानसिक स्थिति को देखते हुये ...भूपत कांजिभाई कोली की मानसिक स्थिति को देखते हुये मेरी सहानुभूति और संवेदनायें उन तक जाती है. आशा है न्यायपालिका जल्द ही उचित निर्णय ले.<BR/><BR/>किन्तु इस प्रसंग में नरेन्द्र मोदी का जिक्र देखकर जरा अचरज में हूँ, अनिल भाई. <BR/><BR/>मुख्य मंत्री की हैसियत से अगर वो उसके इलाज में कौतोही बरतते तब तो बात समझ में आती-इसमें नहीं समझ आ पा रही. <BR/><BR/>ऐसा कोई प्रावधान है क्या कानून में, जिसमें मुख्यमंत्री को यह अधिकार प्राप्त हों कि वो न्यायपालिका को आदेश दें कि इन्हें छोड़ दिया जाये? <BR/><BR/>मुझे कानून का विशेष ज्ञान नहीं बस इसलिये जिज्ञासावश पूछ रहा हूँ.<BR/><BR/>इसे किसी भी तरह विवाद का विषय न मानें. बस एक जिज्ञासा है जानने की.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com