tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post2945620681697635709..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: बड़े-बड़े हिपोक्रेट भी हार जाएं कुछ कॉमरेडों सेअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-71922542425022982392007-11-05T09:28:00.000+05:302007-11-05T09:28:00.000+05:30इंटरेस्टिंग...इंटरेस्टिंग...आनंदhttps://www.blogger.com/profile/08860991601743144950noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-69141435556998668122007-10-30T02:25:00.000+05:302007-10-30T02:25:00.000+05:30हम पढ़ रहे हैं और अगले अंक की प्रतीक्षा में हैं ।घु...हम पढ़ रहे हैं और अगले अंक की प्रतीक्षा में हैं ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-76127267423776322502007-10-29T12:53:00.000+05:302007-10-29T12:53:00.000+05:30बहुत ही यथार्थपरक रचना बुनी जा रही है। चंदू जी की ...बहुत ही यथार्थपरक रचना बुनी जा रही है। चंदू जी की टिप्पणी से ऐसा लगता है कि यह आत्म-कथात्मक है। इसे पढ़ते हुए मुझे कुछ-कुछ उसी तरह की अनुभूति हो रही है, जैसी उदय प्रकाश जी की कहानी "और अंत में प्रार्थना" को पढ़ते हुए हुई थी।<BR/><BR/>प्रतिकूल विचारों और विरोध करने वालों के पक्ष को भी अत्यंत संजीदगी और मानवीय संवेदनशीलता के साथ व्यक्त कर सकने की निर्लिप्त तटस्थता और न्यायशीलता ही ऐसी कथाओं का प्राण हुआ करती है। आप इसे बहुत खूबसूरती से साथ साध रहे हैं।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-69313352225932101662007-10-29T12:25:00.000+05:302007-10-29T12:25:00.000+05:30लिखने वालों के लिए दुनिया की सबसे कठिन कहानी आत्मक...लिखने वालों के लिए दुनिया की सबसे कठिन कहानी आत्मकथा ही होती है। आपकी कहानी से बड़े नतीजे निकाले जाएंगे, इसलिए बहुत कड़ी कसौटी अपने सामने रखकर लिखिएगा- न किसी से पोलेमिक्स करने के लिए, न किसी को सफाई देने के लिए। ध्यान रहे, इस अदालत में आप ही जज हैं, आप ही मुलजिम और आप ही वकील। हम जैसे श्रोतागण अभी सुन रहे हैं, अभी उठकर कहीं और चले जाएंगे, लेकिन यह अदालत आपकी आखिरी सांस तक आपके भीतर लगी रहेगी।चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-59556858765442977972007-10-29T10:03:00.000+05:302007-10-29T10:03:00.000+05:30बहुत कुछ समझ में आ रहा है. प्रतीक्षा है.बहुत कुछ समझ में आ रहा है. प्रतीक्षा है.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-16425092750053276152007-10-29T08:57:00.000+05:302007-10-29T08:57:00.000+05:30सीपीआईएमएल जैसी वामपंथी विचारधारा मेरे सपने में भी...सीपीआईएमएल जैसी वामपंथी विचारधारा मेरे सपने में भी नहीं आ सकती...क्या सही सोच समझ का ठेका आप जैसे वामपंथियों ने ही ले रखा है क्या...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-46885297113087032682007-10-29T08:39:00.000+05:302007-10-29T08:39:00.000+05:30अभय जी, चलने दीजिए। ऐसे तमाम लोगों को perging act ...अभय जी, चलने दीजिए। ऐसे तमाम लोगों को perging act की जरूरत है। नफरत निकालने दीजिए। इनके अंदर के कलुष की सफाई हो जाएगी। फिर शायद, देश और समाज के किसी काम के हो जाएं। वैसे, राजन मुंबई जी, उदय शंकर मेरी शक्ल भी नहीं पहचानते। बातें निकालिए तो ठोस बातें निकालिए। और अपनी कमियों, कमजोरियों के लिए ही मैंने यह ब्लॉग बनाया है। आप पढ़ते रहिए, मैं लिखता रहूंगा।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-92057641877374634172007-10-29T08:33:00.000+05:302007-10-29T08:33:00.000+05:30अच्छा लिखा अनिल भाई.. लेकिन ये क्या नया फ़ैशन चालू ...अच्छा लिखा अनिल भाई.. लेकिन ये क्या नया फ़ैशन चालू हुआ है.. तमाम लोग अपने नाम के पीछे जगह का पुछ्ल्ला लगाने लगे हैं, जैसे: 'अजय वर्मा, पटना' या 'राजन, मुम्बई'।<BR/>अगर ये सचमुच वही हैं जो ये बता रहे हैं तो अच्छी बात है.. आप के पाठकों का दायरा बढ़ गया है.. और सी पी आई एम एल की राजनीति का भी.. और यह जानकर भी अच्छा लगा कि मुम्बई में इस राजनीति के ऐसे अनजान सिम्पेथाइज़र्स भी हैं जो ऐसी कड़वाहट से आप पर टिप्पणी कर रहे हैं, जो एक लम्बी पह्चान के बाद ही सम्भव है। <BR/>मगर ज़्यादा सम्भावना ये है कि ये कोई कायर हैं जो अपने नाम को छिपाकर अपने ही मित्र पर छिपे हमले कर रहे हैं।अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-53802509512504912212007-10-29T08:09:00.000+05:302007-10-29T08:09:00.000+05:30लेकिन आप हिपोकैंपस कब बने और कैसे उदयशंकर की चमचाग...लेकिन आप हिपोकैंपस कब बने और कैसे उदयशंकर की चमचागिरी तक पहुंचे ये भी जरूर बताएं...Anonymousnoreply@blogger.com