tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post2385970277131213360..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: भारतीय ब्लॉगिंग की दुनिया, जहां हिंदी बस 4/500 हैअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-21523937611206847462008-09-28T23:04:00.000+05:302008-09-28T23:04:00.000+05:30भाई रवि रतलामी जी के ब्लॉग से जानकारी मिलने पर अनि...भाई रवि रतलामी जी के ब्लॉग से जानकारी मिलने पर अनिल जी आपके ब्लॉग पोस्ट का अवलोकन किया. सर्वप्रथम आपको साधुवाद प्रेषित करता हूँ फ़िर अपनी बात कहता हूँ... हम हिन्दी लेखन में रूचि रखने वालों के साथ यह मूलभूत समस्या है कि करते कम हैं और बोलते ज्यादा हैं. मैं सबसे यह आग्रह करूँगा कि अपने गिरेबांह में झाँककर देखें कि हम हिन्दी ब्लोगिंग की विधा शुरू होने के बाद कितनी निष्ठा, गंभीरता और लगन से हिन्दी लिख रहे हैं..उसकी भाषा शैली, विषयवस्तु पर कितनी मेहनत किया है. <BR/><BR/>करने से अधिक पाने की लालसा में जो हो सकता है...या जो हो रहा है वह भी नकार दिए जाने के कारण ही हिन्दी और हिन्दी लेखन की यह दशा है. हम हिन्दी की बात करते हैं लेकिन उसके दैनिक जीवन, कामकाज में उपयोग के सम्बन्ध में कभी नहीं सोचते. हम में से अधिकांश लोग मेरी तरह ही चूँकि अंग्रेजी अच्छी नहीं आती इसलिए हिन्दी लेखन करते हैं. हम हिन्दी ब्लोगिंग को अंग्रेजी की ब्लोगिंग से तुलना करते हुए यह क्यों भूल जाते हैं कि तकनीक से जुड़े सभी उपकरण एवं सुविधाएँ पहले अंग्रेजी में फ़िर आवश्यकता प्रतिपादित होने पर हिन्दी के लिए प्रायोगिक तौर पर तैयार की जाती है. <BR/><BR/>अंग्रेजी ब्लोगिंग के साथ सुविधा इस बात की है कि तकनीक की दुनिया उसके लिए पढ़े लिखे और भरपेट लोगों की वैसे ही एक फौज खड़ा कर रखती है. अंग्रेजी ब्लोगिंग के सफर को हिन्दी से पहले शुरू कर उस चरण तक पहुँचाया जा चुका है जहाँ से व्यवसायिक लाभ अर्जन किया जाना सुलभ है. लेकिन अभी हम उस शुरूआती चरण में है, जहाँ इस तरह के श्रम के सम्बन्ध में सोचना....हिन्दी के साथ "बालश्रम" कराने जैसा होगा. मित्रों पहले हम सर्व स्वीकार्य शब्द...NGO जैसे कार्य करते हुए..हिन्दी ब्लोगिंग को एक गंभीर वैविध्यपूर्ण मंच बनायें. फ़िर इससे व्यवसायिक लाभ तो स्वमेव प्राप्त होना आरम्भ हो जाएगा. <BR/><BR/>हम में से जिनको हिन्दी लेखन में रूचि है, तकनीक और आर्थिक रूप से सक्षम है, उनकी जिम्मेदारी पहले, अधिक और महती है कि वह अलख जगाये...और जगाये रखें . मैं इस बात से सहमत हूँ कि एक बार सक्षमता साबित होने के बाद शेष तो ......आता और होता ही जाएगा. हम इस विषय में थोड़े तंग दिल, भावुक होकर ज्यादा सोच रहें हैं . आवश्यकता व्यवहारिक होने की है..!!! शायद !!!<BR/><BR/>यह क्या कम है कि अनिल जी, तरुण जी, साकेत जी वहां पहुँचकर तकनीक, रणनीतिक ज्ञान अर्जित किए साथ ही सबके बीच उसे पहुँचाया भी. शेष रणनीतिक बिन्दु तो हिन्दी के ब्लोगर "पंडित", "विशेषज्ञ, और "गुरूजी" अक्सर हम सबके बीच उड़न तश्तरी में बांटते ही रहते हैं. जिसके लिए मेरा उन्हें हिन्दी ब्लागर के रूप में न केवल प्रणाम है, अपितु सिपाही के रूप में salute भी है.<BR/><BR/>और क्या कहा जाये ????.....अभी तो हिन्दी ब्लोगिंग में पैसा है नहीं इसलिए आपको तब तक मुझ जैसे लोगों को झेलना ही पड़ेगा.<BR/>समीर यादवसमीर यादवhttps://www.blogger.com/profile/07228489907932952843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-85178798971306068452008-09-28T01:46:00.000+05:302008-09-28T01:46:00.000+05:30आज रविरतलामी का ई- मेल देखा और अनिल रघुराजजी के ब्...आज रविरतलामी का ई- मेल देखा और अनिल रघुराजजी के ब्लाग पर पहुचने का इतिफाक हुआ | आप लोगों की चिंता अफसोस को समझ सकता हूँ | वैसे एक बात कहना चाहता हूँ की हिन्दी में ब्लागिंग तो बहुत हो रही है ,ब्लागरों की बाढ़ सी आगई है लगती है |पर गंभीर ब्लागिंग कुछ ही लोग कर रहें ,शुरू शुरू में मं भी धारा में कूद पड़ा : : बीमारी के बाद चिकित्सा करा कर पीजीआई लखनऊ से लौटा था समय कटता नही था shesh fir<BR/> kramank 1'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा ::https://www.blogger.com/profile/02846750696928632422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-18383748699003230932008-04-01T04:42:00.000+05:302008-04-01T04:42:00.000+05:30Raghuraj ji ... aapki report padhkar bahut achha l...Raghuraj ji ... aapki report padhkar bahut achha lagaa ... aur thoda sa nahi bhi ... <BR/><BR/>Achha yun lagaa ki yah ek aaj ke , taknik se bharpoor samay ki gathering thi aur aap chaar bloggers hi sahi , lekin aapke maadhyam se hindi v hindi-blogging ko ek aise manch par aavaaz toh mili ... aap chaaron ko iske liye badhai ...<BR/><BR/>Ab achha-nahi isliye lagaa ki mumbai main rehte hue , main vahaan na pahunch paaya ... matr isliye ki mujhe iski soochanaa hi nahi mili ... na sirf ek serious discussion ko miss kar diya balki aap chaaron se ek baar milne ka avasar bhi khoya ... yadi bhavishya main koi aisa aayojan ho toh kripya mujhe bhi avashya soochit karen ...<BR/><BR/>Main Sanjay Begani ji ki baat se poori tarah sehmat hoon ... hindi jaise jaise kamai ki bhaasha banati jaayegi , log isase judate jaayenge aur yeh apne aap sudridh hoti chali jaayegi ... yahan baat yeh nahi hai ki hindi ko lokpriya banaana hai toh uske liye logon ke man ke laalach ko exploit kiya jaana chahiye , balki baat yah hai ki Hindi ko aaj ek 'sahi'/'glamouraous' image- creation ki zaroorat hai ... doosre shabdon main - sahi 'brand image' building ki ... iske liye hindi lekhakon ki success-stories ka hona aur unhe janataa tak pahunchanaa , dono behad zaroori hain ... Hindi lekhan ke itihaas se aaj tak jo lekhakon ki image logon ke dimaag main bani hui hai vo hai rote-dhote khali-pet bekaar aadmiyon ki jo apne gharon ke kharche bhi nahin chalaa sakate ; kitne toh bhukhmari se mar gaye ... Is 'garib'/'gayi-guzari'/'bichari' image ko badalanaa hoga ... we must remember that most of 'common men' fall in the catagory of 'followers' and they like to follow 'success stories' rather than 'sad/failure stories'... ham mutthi bhar hindi bloggers ko is par avashya vichar karanaa chaahiye ...Malay M.https://www.blogger.com/profile/06387085095760076754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-15356308389925088972008-03-31T15:44:00.000+05:302008-03-31T15:44:00.000+05:30अच्छी रिपोर्ट.हिन्दी को कमाई की भाषा बनने दें...बा...अच्छी रिपोर्ट.<BR/><BR/><BR/>हिन्दी को कमाई की भाषा बनने दें...बाकि अपने आप हो जायेगा.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-72030875515880539872008-03-30T19:48:00.000+05:302008-03-30T19:48:00.000+05:30अच्छी रिपोर्ट...जागृति आयेगी..अलख लगाये रखिये. शुभ...अच्छी रिपोर्ट...जागृति आयेगी..अलख लगाये रखिये. शुभकामनाऐं भाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-53275184363187949602008-03-30T19:26:00.000+05:302008-03-30T19:26:00.000+05:30अनिल जी आप का लेख बहुत अच्छा लगा, बहुत रोचक,लेकिन ...अनिल जी आप का लेख बहुत अच्छा लगा, बहुत रोचक,लेकिन हिन्दी के बारे पढ कर अजीब लगा, सोचने पर मजबुर हो गया हु, हमारे भारत मे हमारा कया हे, भाषा पराई, पहरावा पराया. अब खाना भी पराया,सोच भी पराई,अपना कया बचा हे ?राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-67504729133097030492008-03-30T17:17:00.000+05:302008-03-30T17:17:00.000+05:30भला होगा या नही अगर पहले ही सोच कर बैठ जाएं तब तो ...भला होगा या नही अगर पहले ही सोच कर बैठ जाएं तब तो कुछ होगा ही नही न!!!<BR/><BR/>रपट बढ़िया लगी, शुक्रिया!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-9994673134035852122008-03-30T15:04:00.000+05:302008-03-30T15:04:00.000+05:30अनिल जी बार कैम्प के बारे में बताने के लिए शुक्रिय...अनिल जी बार कैम्प के बारे में बताने के लिए शुक्रिया, आना तो हम भी चाह्ते थे पर पूरी जानकारी न होने के कारण हिचक गये, खैर वहां और क्या क्या जानकारी मिली हमसे बांटें तो अच्छा लगेगा।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-33412738022360513742008-03-30T13:45:00.000+05:302008-03-30T13:45:00.000+05:30अनिल भाई मैं सचमुच फंसान की वजह से नहीं आ सका । घर...अनिल भाई मैं सचमुच फंसान की वजह से नहीं आ सका । घर में कुछ पुनर्निमाण जैसा चल रहा है । वरना मैं ज़रूर आता । आपकी रिपोर्ट से काफी बातें पता चलीं, मेरी राय है कि हिंदी ब्लॉगरों को भी ऐसा कोई सम्मेलन करना चाहिए । अच्छी और ठोस योजना के साथ ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-55664200313275301622008-03-30T12:14:00.000+05:302008-03-30T12:14:00.000+05:30अच्छी रिपोर्ट।अच्छी रिपोर्ट।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-32804913243279659412008-03-30T11:15:00.000+05:302008-03-30T11:15:00.000+05:30हा हा ही ही हू हू... उहां जाके का खोजने गये थे... ...हा हा ही ही हू हू... उहां जाके का खोजने गये थे... जौ मन हौ लिखौ... लिखे कौ बाजार मिलगौ भाया... चिंता काहे करत हौ... रुपल्ली मिलबौ... मिलबौ... मिलबौ...राघव आलोकhttps://www.blogger.com/profile/06105125927201632104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-64085399473253838422008-03-30T08:55:00.000+05:302008-03-30T08:55:00.000+05:30मुंबई में कुल पन्द्रह बीस ब्लागर हैं हिंदी के। उनम...मुंबई में कुल पन्द्रह बीस ब्लागर हैं हिंदी के। उनमें से चार जा पाये , बहुत है जी। रिपोर्ट अच्छी है। कुछ और विस्तार में लिखें।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-58367763552788196982008-03-30T08:33:00.000+05:302008-03-30T08:33:00.000+05:30रघुराज जी, आप की इस पोस्ट ने बहुत कुछ सोचने पर मजब...रघुराज जी, आप की इस पोस्ट ने बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया। आप की पोस्टें बहुत सीधी-सादी भाषा में लिखी होने के कारण समझ में आ जाती हैं.Dr Parveen Choprahttps://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-25219356029215412632008-03-30T08:31:00.000+05:302008-03-30T08:31:00.000+05:30अनिल जी, हिन्दी एक तो सब से नयी भाषा है. और विकास ...अनिल जी, हिन्दी एक तो सब से नयी भाषा है. और विकास के दौर में है, परिपक्व हो रही है। उसे लोगों की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लायक होना होगा। हम जिस युग में जी रहे हैं उस में अर्थ के बिना कुछ भी कर पाना संभव नहीं है। हिन्दी ब्लॉगिंग को भी कमाई के अवसर तलाशना चाहिए। नियमित ब्लॉगिंग संभव नहीं है। जब तक प्रोफेशनल ब्लॉगर हिन्दी में पैदा नहीं होने लगेंगे तब तक ब्लॉगिंग ऐसे ही चलती रहेगी, एनजीओ टाइप। <BR/>हिन्दी ब्लॉगिंग को नए स्तर पाने के लिए अभी बहुत प्रयत्न करने शेष हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com