tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post1357098422127883461..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: उर्दू में लिखा हुआ पढ़ते हैं मनमोहनअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-49457027864098501242007-08-17T00:09:00.000+05:302007-08-17T00:09:00.000+05:30हिन्दी -उर्दू को दो धर्मों से जोड़ने का काम अंग्रे...हिन्दी -उर्दू को दो धर्मों से जोड़ने का काम अंग्रेजों ने किया। हमें लड़ाया और कुछ लोग अंग्रेजी नीति का पालन अभी भी कर रहें है लेकिन आपने अपने लेख से सिद्ध किया है कि हिन्दी उर्दू में कोई भेद नहीं था खास कर धर्म को लेकर। बधाई ...राजेश कुमारhttps://www.blogger.com/profile/03022479793930240428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-15054227260933810762007-08-16T12:36:00.000+05:302007-08-16T12:36:00.000+05:30कुछ जानकार लोगों ने मुझे बताया कि हिंदी-उर्दू का फ...<I>कुछ जानकार लोगों ने मुझे बताया कि हिंदी-उर्दू का फर्क वैसा ही है, जैसे ब्रिटेन और अमेरिका की अंग्रेज़ी में होता है।</I><BR/><BR/>सहमत हूँ, अगर लिपियाँ अलग न होती तो कोई भी इन दोनों भाषाओं को अलग न बताता।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-72535245525692872512007-08-15T21:54:00.000+05:302007-08-15T21:54:00.000+05:30आप ने बहुत अच्छॆ से हिन्दी और उर्दू के बारे में वि...आप ने बहुत अच्छॆ से हिन्दी और उर्दू के बारे में विचार रखे हैं।बधाई\परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-25851984295000262972007-08-15T20:01:00.000+05:302007-08-15T20:01:00.000+05:30भाई साहब...वन्देमातरम.जश्ने आज़ादी की साठवीं सालगिर...भाई साहब...वन्देमातरम.<BR/>जश्ने आज़ादी की साठवीं सालगिरह पर आपने हिन्दी उर्दू के एका की बात कर सवाब लूट लिया.क्या आप यक़ीन करेंगे कि मेरे मामू जो जोधपुर के नामी सर्जन हैं देवनागिरी वाली हिन्दी पढ़्ना ही नहीं जानते...पेशे से डाँक्टर हैं सो मशवरा अंग्रेज़ी में लिख लेते हैं और दीगर ख़तोकिताबत भी अंग्रेज़ी में ही करते हैं.आपने ठीक फ़रमाया कि हिन्दी-उर्दू के बँटवारे के नाम पर सियासत ज़्यादा होती है..क्या आप मुझसे इस बात पर इत्तेफ़ाक़ रखेंगे कि जितना हम हिन्दी वाले उर्दू को चाहते हैं या उसके बारे में बतियाते हैं उर्दू में ठीक उसका विपरीत हो रहा है सो हिन्दी की चिन्दी करने वालों को राजनीति करने का मौक़ा मिल ही जात है...कुछ हम कर रहे हैं...थोड़ा सा कुछ वो करें...तो हिन्दवी का और अमीर खु़सरो का ख़्वाब साकार हो सकता है.गंगा जमनी तहज़ीब के हवाले से यहाँ ये लिखना बहुत प्रासंगिक होगा कि इन्दौर घराने के तान संम्राट उस्ताद अमीर ख़ाँ साहब वैष्णव परम्परा के श्री गोवर्धननाथ मंदिर में सांरगी वादक के रूप में मुलाज़िम थे.और इसी मंदिर की पीठ पर विराजित आचार्य गोस्वामी गोकुलोत्सवजी महाराज ख़ाँ साहब की गायकी की ध्वनि मुद्रिकाएं सुन सुन कर ही अमीरख़ानी गायकी की नुमाइंदगी कर रहे हैं.तहज़ीब,भाषा और संगीत के स्तर पर ही धर्म-निरपेक्ष हिन्दुस्तान की कल्पना की जा सकती है.sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-66482170548474853582007-08-15T19:59:00.000+05:302007-08-15T19:59:00.000+05:30This comment has been removed by a blog administrator.Anonymousnoreply@blogger.com