tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post9018057533393021104..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: ज़िंदगी में जब जगह नहीं बचती दोस्तों कीअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-55601023432830342202008-01-07T09:52:00.000+05:302008-01-07T09:52:00.000+05:30दोस्ती भी अज़ीब भूल भुल्य्या है. कई मर्तबा अपनी जीव...दोस्ती भी अज़ीब भूल भुल्य्या है. कई मर्तबा अपनी जीवन का लम्बा भाग हम अमुक को दोस्त समझ कर बिता देते है, और फिर एक झट्के मे पपीते के पेड से नीचे. कई लोग जिन्हे हम परिचित या कामकाज़ी दोस्तो की कतार मे रखते है, वही हमारे लिये खडे मिलते है, जब तथाकथित दोस्त गोली दे जाते है, और सबसे ज्यादा जब दोस्तो की ज़रूरत होती है. जीवन हमेशा अपने भीतर अप्रत्याक्षित और अचम्भित करने वाले खज़ाने को समेटे रहता है. इसीलिये शायद हमेशा बोर होने से बचाता है. दोस्तो का हिसाब किताब भी दोस्ती के एक लम्बे अरसे के बाद समझ मे आता है. अपनी सीधी सादी वर्गीकरण की जल्द्बबाज़ी ही हमे उलझाती है.स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-5504286892211819922008-01-06T21:07:00.000+05:302008-01-06T21:07:00.000+05:30सशक्त लेख। बँधाई । ’दोस्ती समय और हालात के सापेक्ष...सशक्त लेख। बँधाई । ’दोस्ती समय और हालात के सापेक्ष होती है’ बहुत सटीक कहा है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12160634726989950280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-54810516618869823712008-01-06T20:04:00.000+05:302008-01-06T20:04:00.000+05:30प्रेम और मैत्री में प्रतिदान की अपेक्षा न हो तो सब...प्रेम और मैत्री में प्रतिदान की अपेक्षा न हो तो सब बढ़िया चल सकता है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-62832671917711957012008-01-06T11:47:00.000+05:302008-01-06T11:47:00.000+05:30अनिल जी, हम आपसे बिल्कुल सहमत नहीं हैं, सबसे पहले ...अनिल जी, हम आपसे बिल्कुल सहमत नहीं हैं, सबसे पहले तो दोस्ती और काम आने वाली दोस्ती बिल्कुल ही अलग हैं.दूसरा जीवन के किसी भी मुकाम पर आप दोस्त बना सकते है और ताउम्र उसे कायम रख सकते हैं.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-67878399763552974452008-01-06T05:57:00.000+05:302008-01-06T05:57:00.000+05:30आप जरा सोच कर देखिए कि कौन दोस्त कब काम आ सकता है ...आप जरा सोच कर देखिए कि कौन दोस्त कब काम आ सकता है और दोस्तियाँ कायम रखिए। बीवियों को भी रास ही आएंगी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-17927175026204422282008-01-06T03:46:00.000+05:302008-01-06T03:46:00.000+05:30Raghuraj ji, this is bitter fact of life........wh...Raghuraj ji, this is bitter fact of life........which has been woven so warmly in your words.Dr Parveen Choprahttps://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.com