tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post7837049191897189659..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: ये तो क्रांति की नहीं, भिखारी माफिया की सोच है!अनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-6275808968023977372007-11-02T02:16:00.000+05:302007-11-02T02:16:00.000+05:30फ़िलहाल नहीं पढ पा रहे हैं-हां आगे के लिए कापी कर क...फ़िलहाल नहीं पढ पा रहे हैं-हां आगे के लिए कापी कर के रखते जा रहे हैं. एक बार पूरा पढेंगे. चंदू भाई की टिप्पणी ज़रूर पढी और आपक जवाब भी. इससे कुछ अंदाज़ा हुआ. खैर, आपको पूरा पढके मेल करेंगे.Reyaz-ul-haquehttps://www.blogger.com/profile/07203707222754599209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-44825231938024615282007-11-01T18:42:00.000+05:302007-11-01T18:42:00.000+05:30मानस दिलो दिमाग पर छाता जा रहा है…अगली कड़ी का इन्त...मानस दिलो दिमाग पर छाता जा रहा है…अगली कड़ी का इन्तजार है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-70017003902173392362007-11-01T16:00:00.000+05:302007-11-01T16:00:00.000+05:30चंदू भाई मैं कुछ ‘सोचकर’ खोजकर नहीं लिख रहा हूं। ज...चंदू भाई मैं कुछ ‘सोचकर’ खोजकर नहीं लिख रहा हूं। जैसा था, वैसा पेश कर रहा हूं। मैंने राज्य सचिव की तरफ से कही गई बात पेश की है। अब अगर पार्टी के राज्य सचिव स्तर के भी लोग ‘कुछेक चंदाखोर, नाकारा और वाहियात लोगों’ में शुमार हों तो उस पार्टी को इनसे इतर मैं नहीं देख सकता। रही बात अपनी छानबीन की तो मैंने शुरू में कह दिया कि आंदोलन से जुड़ने के पीछे मेरी कोई वर्गीय या कम्युनिस्ट प्रतिबद्धता नहीं, बल्कि एक न्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक भारत का आदर्शवादी रुझान था।<BR/>दूसरी बात मैं इस आंदोलन में परिधि पर खड़े रहकर जीवनयापन करने के लिए दुकान चलानेवालों की बात कर रहा हूं, उनकी नहीं जो उत्पीड़न अवाम के लिए सचमुच समर्पित हैं, उनके बीच में रहते हैं, जीते हैं मरते हैं। मैं आज भी उनका सम्मान करता हूं, उन्हें सलाम करता हूं।<BR/>तीसरी बात, मैं पॉलिमिक्स या किसी की हेठी करने के लिए यह सब नहीं लिख रहा हूं। ये मेरे व्यक्तिगत अनुभव हैं जिन्हें ज़िंदगी में बनने-बिगड़ने के दौर के अहम दस साल लगाकर मैंने हासिल किया है और 18-20 साल बीत जाने के बावजूद उसके हैंगओवर से मुक्त नहीं हो पाया हूं।<BR/>चौथी बात, मैंने पार्टी में अपनी सोच के लागू होने की नहीं, बल्कि कुल मिलाकर उस पर छाई दार्शनिक सोच की बात की है। जिन पार्टी नेताओं पर नीतियों को लागू करने की जिम्मेदारी थी, वे मुझे कहीं से भी मार्क्सवादी नहीं लगे, बल्कि उन्होंने सुविधाजनक तरीके से इस दर्शन के सूत्रों को भुनाया।<BR/>बाकी, आपकी ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-18544440734404476222007-11-01T15:18:00.000+05:302007-11-01T15:18:00.000+05:30बात कुछ समझ में नहीं आई। शीर्ष नेतृत्व के ठस नजरिए...बात कुछ समझ में नहीं आई। शीर्ष नेतृत्व के ठस नजरिए के चलते संगठन और आंदोलन संबंधी आपकी मार्क्सवादी सोच पर राज्य कमेटी में सहमति नहीं बन सकी और इसे पूरे राज्य में लागू नहीं किया जा सका। आपकी राय अल्पमत का घेरा नहीं तोड़ पाई, लिहाजा शायद मिनट्स में उसे दर्ज कर लिया गया हो- या शायद वह भी न किया गया हो। बहरहाल, राज्य कमेटी बैठक में अगर अल्पमत पर बिल्कुल रंदा ही फेर दिया गया हो तो भी एक पूरा जिला आपकी जिम्मेदारी में था, उसमें भी क्या इसको लागू करने पर राज्य कमेटी द्वारा कोई रोक लगाई गई थी? और यह लौट जाने की बात बार-बार कहां से आ रही है? भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन की शुरुआत से लेकर आज तक हजारों लोग होलटाइमर बने और आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए अपनी क्षमता भर काम किया। ऐसा न होने पर लौट जाएंगे, वैसा न होने पर लौट जाएंगे-इसी तरह अगर वे सोचते रहते तो देश में आज न कोई कम्युनिस्ट आंदोलन का नामलेवा होता, न ही यहां के कामकाजी वर्गों के पास वैसे कोई अधिकार होते, जिन्हें आज हम हवा-पानी की तरह स्वाभाविक मान बैठे हैं। <BR/><BR/>अनिलजी, इसी पार्टी में आपकी तुलना में लगभग तीन या चारगुना वक्त तक होलटाइमर मैं भी रहा हूं। बाद में कुछ वजहों से बात नहीं बनी तो ट्रैक बदलना पड़ा। इस दौरान पार्टी में मुझे बहुतेरे लोग ऐसे मिले, जिनके बारे में मेरी राय बहुत खराब बनी, लेकिन कुछ ऐसे भी मिले, जो भारतीय समाज के अनमोल रतन हैं। जिन्हें पाकर कोई भी समाज खुद को गौरवान्वित महसूस कर सकता है। अलग से कहना जरूरी नहीं कि ऐसे ही लोगों में एक मैं आपको भी गिनता आया हूं।<BR/><BR/>इन परस्पर विरोधी पहलुओं के चलते पार्टी के बारे में मेरी राय कभी थोड़ी अच्छी तो कभी थोड़ी खराब बनती रहती है। लेकिन बतौर संगठन इसमें भिखारी माफिया जैसी घिनौनी प्रवृत्तियां देखना तो दूर, ऐसी किसी चीज के बारे में मैं कभी सोच भी नहीं सकता। एक बार फिर निवेदन करता हूं- आप जो कुछ भी लिख रहे हैं, वह महत्वपूर्ण है, लिहाजा जितना भी हो सके, इसे बड़े टाइम-स्पेस में रखकर देखें और तात्कालिक राग-द्वेष से इसे मुक्त रखने का प्रयास करें। यह ज्यादा वस्तुगत तब होगा, जब पार्टी के साथ-साथ आप खुली नजर से अपनी भी छानबीन करते चलें, क्योंकि यहां आप कुछेक चंदाखोर, नाकारा और वाहियात लोगों के बारे में नहीं, एक आंदोलन के बारे में बात कर रहे हैं, जिसके साथ करोड़ों लोगों की उम्मीदें जुड़ी हैं।चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-69075567959598541742007-11-01T13:26:00.000+05:302007-11-01T13:26:00.000+05:30मित्र, मुझे लग रहा था कि संगठन की बात कर रहे हैं क...मित्र, मुझे लग रहा था कि संगठन की बात कर रहे हैं कथा में तो अंतत: दादागिरी का स्तर बढ़ कर माफियागिरी तक पंहुचेगा।<BR/>संगठन बनाने और चलाने के प्रबन्ध सूत्र "गॉडफादर" उपन्यास बखूबी देता है। <BR/>और आपके कथन - "उसकी उम्र उस समय 26 साल थी। दो साल बाद वह 28 का हो जाएगा यानी कंप्टीशन देने की उम्र तब खत्म हो जाएगी।" ने तो बहुत उद्वेलित किया। खैर आगे की कथा का इंतजार है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-61838845068728098032007-11-01T13:20:00.000+05:302007-11-01T13:20:00.000+05:30शायद कल व...शायद कल वाली बात ही लिखनी पड़े. यही घुटन महसूस करता हूँ. अब लग रहा है कि मानस को तो शायद रास्ता मिलजाये. पर आपकी लिखा पढ़ कर मैं मानस की तकलीफ को समझ सकता हूँ. मुझे इंतज़ार है मानस के इस संघर्ष के एक सुखद अंत का.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-19778984357346633102007-11-01T11:53:00.000+05:302007-11-01T11:53:00.000+05:30अगली कडी का इंतजार .........www.aarambha.blogspot....अगली कडी का इंतजार .........<BR/><BR/><A HREF="http://aarambha.blogspot.com/" REL="nofollow">www.aarambha.blogspot.com</A>36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-53611636490109127522007-11-01T11:21:00.000+05:302007-11-01T11:21:00.000+05:30एक अँधेरी दुनिया दिखा रहे हैं आप..एक अँधेरी दुनिया दिखा रहे हैं आप..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-17101918412415070492007-11-01T10:21:00.000+05:302007-11-01T10:21:00.000+05:30मानस की उहापोह अच्छी लग रही है.इंतजार है आगी का.मानस की उहापोह अच्छी लग रही है.इंतजार है आगी का.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-11850989327937677232007-11-01T10:14:00.000+05:302007-11-01T10:14:00.000+05:30हम पढ़ रहे है, आगे कि कड़ी का इंतजार है, वैसे क्या ए...हम पढ़ रहे है, आगे कि कड़ी का इंतजार है, वैसे क्या एनालिसिस है पूरे तंत्र की… सराहनीय्…Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.com