tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post7563010501522350549..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: जिज्ञासा चकरघिन्नी बना देती है इंसान कोअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-82786238689941438082007-08-23T11:57:00.000+05:302007-08-23T11:57:00.000+05:30ओह, यह सेल्फ़पोर्ट्रेट देखना कितना पीड़ाजनक है!ओह, यह सेल्फ़पोर्ट्रेट देखना कितना पीड़ाजनक है!azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-46008033098761099092007-08-20T15:46:00.000+05:302007-08-20T15:46:00.000+05:30हां, अभयजी, वो हमेशा बिगिनर ही रहता है। मुक्तिबोध ...हां, अभयजी, वो हमेशा बिगिनर ही रहता है। मुक्तिबोध ने साहित्यिक की डायरी के एक लेख में ऐसा ही लिखा है। बिगिनर रहने का अपना ही मज़ा है, इंसान हमेशा बच्चों जैसे कुतुहल में फंसा रहता है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-20320430024023841922007-08-20T10:16:00.000+05:302007-08-20T10:16:00.000+05:30क्या सचमुच हमेशा बिगिनर ही रहने वाला है वो? ये तो ...क्या सचमुच हमेशा बिगिनर ही रहने वाला है वो? ये तो डराने वाली बात है..मगर जिसने भी लिखा.. सही है..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.com