tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post6968669277486814600..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: लो, लौट आई पहली दुल्हिनअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-23609478573436663062007-06-02T07:43:00.000+05:302007-06-02T07:43:00.000+05:30अच्छा... अभी नोयडा मे बहुत ग़ौरैया बाक़ी हैं जो मर...अच्छा... अभी नोयडा मे बहुत ग़ौरैया बाक़ी हैं जो मरी नही और न ही कही चली गयी ख़ुद मेरे घर मे तीन चार रहती हैं . रोज़ मैं उन्हे चावल देता हूँ और घर का कूड़ेवाला 5-5 दिन तक कूड़ा नही ले जाता तो उसमे भी कीड़े पलने लगते हैं . फिर तो ग़ौरैइयों की मौज हो जाती है . एक बार गाव मे हम और हमरे चाचा शीशा और मौनी से ग़ौरैया पकड़े थे और उसके पैर मे धागा बाँध के ख़ूब उड़ाए थे . ग़ौरैया है इसलिए उसके ना होने का तो दुख नही है लेकिन गाव से मौनी ग़ायब होते रहना बहुत ख़राब लगता है . अब तो ना मौनी दिखती हैं और ना बेना और ना सिकाहुला . और रही बात 45 हज़ार बच्चों की तो जब तक इस देश मे मोनिंदर और सी बी आई रहेंगे , कोई नही देखने वाला , बस कुछ दिन लोग चिल्लाते हैं फिर शांत होकर बैठ जाते हैं . लोगों के लिए तो हत्यारी जगह पीकनिक की ख़ूबसूरत जगह बन जाती है .Rising Rahulhttps://www.blogger.com/profile/12177287386975138385noreply@blogger.com