tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post6060068838254925608..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: संभल के दोस्तों, ये दिमागी दासता का दौर हैअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-81373755380872322882008-01-11T20:20:00.000+05:302008-01-11T20:20:00.000+05:30बिल्कुल सही कि सारे खबरी जन-माध्यम खबरें सनसनीखेज/...बिल्कुल सही कि सारे खबरी जन-माध्यम खबरें सनसनीखेज/ उसी रूप ही सुनाते हैं [ व्यक्तिगत तौर पर मुझे भी अच्छा नहीं लगता]; तटस्थ रूप से - व्यवासायिक निर्णय भीड़ (TRP) के बल होते हैं; माध्यम तरह-तरह की भीड़ इकठ्ठा कर विज्ञापकों को बेचते हैं; ज्यादा लोगों का मजमा जो प्रोग्राम लगाये उसे अधिक आर्थिक प्रश्रय मिलता है; मजमे का प्रजातंत्र है; विज्ञापकों का आकलन अधिकतर वस्तुनिष्ट / निर्मम है- बहरहाल, उम्मीद है कि कभी नैतिकता, चेतना और व्यवहार, जन-माध्यम और भीड़ दोनों से मिलेंगे; तब तक / कब तक - regards manishAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-36982755271491405212008-01-10T19:37:00.000+05:302008-01-10T19:37:00.000+05:30लगता है विक्तोर फ्रेंकल को फिर पढ़ा जाये - कोई आपकी...लगता है विक्तोर फ्रेंकल को फिर पढ़ा जाये - कोई आपकी इच्छा के खिलाफ आपसे गुलामी कैसे करा सकता है?!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-17103654572331480712008-01-10T16:46:00.000+05:302008-01-10T16:46:00.000+05:30आप तो हमारे मन का विषय उठाये हैं. खबरबाज लोग कंपनि...आप तो हमारे मन का विषय उठाये हैं. <BR/>खबरबाज लोग कंपनियों की दलाली करते हैं और कहते हैं कि पत्रकारिता कर रहे हैं. पहले यह सब होता तो कहा जाता कि भ्रष्टाचार हो रहा है. अब फर्क देखिए इसे ही शिष्टाचार कहा जा रहा है.Sanjay Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/13133958816717392537noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-55595544798743443632008-01-10T16:33:00.000+05:302008-01-10T16:33:00.000+05:30"... समाज भी किसी दिन एक्सपायर हो जाएगा।"बहुत सही!..."... समाज भी किसी दिन एक्सपायर हो जाएगा।"<BR/>बहुत सही!<BR/>पर इस समस्या से सारी दुनिया ग्रस्त है.DesignFlutehttps://www.blogger.com/profile/00283434937237912410noreply@blogger.com