tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post6015662492946913932..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: विकास है, पर विकास क्यों नहीं है?अनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-73057482180821071462010-06-18T15:58:33.347+05:302010-06-18T15:58:33.347+05:30जिन्दा लोगों की तलाश! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
क...जिन्दा लोगों की तलाश! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!<br /><br />काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।<br />============<br /><br />उक्त शीर्षक पढकर अटपटा जरूर लग रहा होगा, लेकिन सच में इस देश को कुछ जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है।<br /><br />आग्रह है कि बूंद से सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो निश्चय ही विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।<br /><br />हम ऐसे कुछ जिन्दा लोगों की तलाश में हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।<br /><br />इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।<br /><br />अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।<br /><br />अतः हमें समझना होगा कि आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।<br /><br />शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-ष्भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थानष् (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-<br /><br />सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?<br /><br />जो भी व्यक्ति स्वेच्छा से इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-<br />डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, राष्ट्रीय अध्यक्ष<br />भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)<br />राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय<br />7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)<br />फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666<br />E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.inभारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/12363266787410149792noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-40942815910873161772007-08-09T15:49:00.000+05:302007-08-09T15:49:00.000+05:30बढ़िया विश्लेषण। कई मुद्दों पर आप मेरी तरह ही सोचत...बढ़िया विश्लेषण। कई मुद्दों पर आप मेरी तरह ही सोचते हैं। <BR/><BR/>नौकरशाही के भरोसे सरकारी नीतियों और विकास की योजनाओं को लागू किए जाने की व्यवस्था का हश्र हम बीते साठ वर्षों में देख ही चुके हैं। बमुश्किल एक-दो फीसदी नौकरशाह योजनाओं के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में दिलचस्पी लेते हैं। नौकरशाही फाइलों पर निर्णय लेती है, लेकिन उन निर्णयों को लागू कराने के लिए फील्ड में मॉनीटरिंग की समुचित व्यवस्था नहीं है। लालफीताशाही और भ्रष्टाचार ने पूरे तंत्र को निकम्मा बना दिया है। हायरेरकी, प्रोटोकॉल और कैरियर एडवांसमेंट इस नौकरशाही के लिए सबसे अधिक अहम हैं। जवाबदेही, पारदर्शिता और जनसहभागिता को सुनिश्चित करने के लिए जनता और प्रेस की जागरुकता जरूरी है, लेकिन वह अभी पर्याप्त नहीं है। किसी भी तरह के उग्र प्रदर्शन के खिलाफ सरकार नृशंस बल प्रयोग करती है। न्यायपालिका का रुख भी विरोध-प्रदर्शनों के खिलाफ है। मीडिया कारपोरेट के हाथों की कठपुतली बन चुका है। <BR/><BR/>अमर्त्य सेन का विकासवादी मॉडल उस तंत्र के लिए तो बढ़िया है जहां प्रशासन जवाबदेह और संवेदनशील हो। लेकिन भारतीय नौकरशाही में गैर-जवाबदेही और संवेदनहीनता चरम पर है। इसके भरोसे विकास संभव नहीं। ज्यादातर एनजीओ और स्वैच्छिक संगठन भी खाने-कमाने के अड्डे बन चुके हैं। <BR/><BR/>कुल मिलाकर, उपाय आसान नहीं है। लोकतंत्र को मौजूदा स्वरूप में बनाए रखते हुए सही मायने में विकास को सुनिश्चित कर पाना बहुत कठिन है।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-81224162732497529592007-08-08T22:44:00.000+05:302007-08-08T22:44:00.000+05:30किसी खबर में छिपी असली खबर को पकड़ने की आप में अद्...किसी खबर में छिपी असली खबर को पकड़ने की आप में अद्भुत क्षमता है जो हमने कहीं और नहीं देखी.<BR/>टीआरपी.... वाली टिप्पणी तो अच्छी थी ही, आपकी प्रस्तुति का अंदाज़ भी निराला है.DesignFlutehttps://www.blogger.com/profile/00283434937237912410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-13681084467860964722007-08-08T21:58:00.000+05:302007-08-08T21:58:00.000+05:30विडम्बना है यह भारत की…।विडम्बना है यह भारत की…।Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-56493125097755127862007-08-08T21:11:00.000+05:302007-08-08T21:11:00.000+05:30सही बात है. जब केरल के ये हाल हैं, तब बाकी देश की ...सही बात है. जब केरल के ये हाल हैं, तब बाकी देश की क्या बात की जाये. अमर्त्य सेन मार्ग पर चलने के लिए एक तो सारकार लड़िया नहीं रही, और अगर चार कदम चली भी, तो वहां विकास क्या, घास भी ठीक से नहीं उगनेवाली!azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-29106289098927528012007-08-08T19:09:00.000+05:302007-08-08T19:09:00.000+05:30achha lekh hai. NRIs ki madad se kya sachmuch vika...achha lekh hai. <BR/>NRIs ki madad se kya sachmuch vikas sambhav hai - is vishay me mera ek ajedaar sansmaran hai. jaldi hi prastut karne ki koshish karoonga. aasha hai ki aap paharenge. ;)Vikashhttps://www.blogger.com/profile/01373877834398732074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-18173020277767046742007-08-08T18:21:00.000+05:302007-08-08T18:21:00.000+05:30सही विष्लेषण किया है आपने. डॉ.कुमार बाहुलेयन को नम...सही विष्लेषण किया है आपने. डॉ.कुमार बाहुलेयन को नमन. इसी तरह के प्रयासों से आशायें हैं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com