tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post4371439267388459079..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: भगत सिंह जीना नहीं चाहते थे : महात्मा गांधीअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-48814576951540090882011-08-13T14:40:25.366+05:302011-08-13T14:40:25.366+05:30भगतसिंह के सम्प्पूर्ण दस्तावेज में उनका एक पत्र है...भगतसिंह के सम्प्पूर्ण दस्तावेज में उनका एक पत्र है, जो भगतसिंह ने अपने पिता को लिखा था। अगर वह कोई देखे, तो गाँधी जी के बारे में कुछ संदेह दूर हों लेकिन हमारे यहाँ तो बिन सबूत के चिल्लाने की आदत पड़ गई है।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-80905545688821351332011-05-04T20:10:32.807+05:302011-05-04T20:10:32.807+05:30गांधी जी अपने सामने किसी चुनौती को स्वीकार न कर पा...गांधी जी अपने सामने किसी चुनौती को स्वीकार न कर पाते थे और वह उन्हें अपने रास्ते से हटाने का पूरा प्रयास करते थे , वह चुनौती भगत सिंह रहे हो चाहे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस । <br />www.satyasamvad.blogspot.comBharat Swabhiman Dalhttps://www.blogger.com/profile/03272508118112772215noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-73288136806669324612007-09-15T18:45:00.000+05:302007-09-15T18:45:00.000+05:30अरुण से सहमत हूँ, बहाने बनाने हर काल के नेता को आत...अरुण से सहमत हूँ, बहाने बनाने हर काल के नेता को आते हैं।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-60311417094701120862007-09-15T06:46:00.000+05:302007-09-15T06:46:00.000+05:30जैसे आज जो लोग प्रधान मंत्री बनने की राह मे थे ,अप...जैसे आज जो लोग प्रधान मंत्री बनने की राह मे थे ,अपने आप जग से चले गये (सिंधिया ,पायलट)..तब भी वैसे ही चलता था..जॊ राह का पत्थर बनने को हुआ बहाने बनते चले गये ,और वो चले गये..Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-20859941896460109532007-09-15T02:38:00.000+05:302007-09-15T02:38:00.000+05:30सर मेरे लिए दोनों पूज्यनीय हैं ... गांधी अगर भगत स...सर मेरे लिए दोनों पूज्यनीय हैं ... गांधी अगर भगत सिंह का साथ देते तो शायद उस रास्ते से भटकते जिसका मकसद अहिंसा से स्वतंत्रता थी ... और शायद भगत सिंह जैसे दृष्टा, क्रांतिकारी नायक को भी भीख में मिला जीवन कभी भी स्वीकार नहीं होता ... इसलिए मेरे ख्याल से दोनों की महानता दोनों के पक्ष में निहित थी।अनुराग द्वारीhttps://www.blogger.com/profile/14991464940848848022noreply@blogger.com