tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post3231939006269750600..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: काया में चक्कर काटता क्रिस्टल का बालकअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-49996943171753322152008-09-25T14:39:00.000+05:302008-09-25T14:39:00.000+05:30अनिलभाई,यही आपकी जमीन है। इसी पर रहकर बल्कि धंसकर ...अनिलभाई,<BR/>यही आपकी जमीन है। इसी पर रहकर बल्कि धंसकर आप जो रचते हैं, उसमें से आपकी खुशबू आती है। आप इस महान लोकतंत्र के स्वतंत्र नागरिक हैं, जैसा चाहें वैसा लिखें, लेकिन सच कहूं आप इस तरह के लिखे में कुछ ज्यादा खिलते हो। बोरा भरकर शुभकामनाएं।ravindra vyashttps://www.blogger.com/profile/14064584813872136888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-71014254381540082422008-09-20T05:58:00.000+05:302008-09-20T05:58:00.000+05:30बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आई। कहानी पढ कर एक...बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आई। कहानी पढ कर एकदम गुम हो गई । मानस को क्रिस्टल मानस दिखा वहीं खत्म होती कहानी तो । पर कहानी आप बडी दिलचस्प लिखते हैं ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-26679788570349218312008-09-17T22:00:00.000+05:302008-09-17T22:00:00.000+05:30मैं सोच रहा हूँ की लेहमन को ज्यादा बद्दुआ मिली थी ...मैं सोच रहा हूँ की लेहमन को ज्यादा बद्दुआ मिली थी या गृह मंत्री को मिल रही हैं... एक का हश्र तो दिख गया... लेकिन भारत में नेताओं को कुछ नहीं लगता. बद्दुआ भी नहीं !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-83937405047059042532008-09-17T18:53:00.000+05:302008-09-17T18:53:00.000+05:30मानस की कथा तो बेहतरीन लगी... आपके साथ समीर जी का ...मानस की कथा तो बेहतरीन लगी... आपके साथ समीर जी का भी आभार। <BR/><BR/>आज ही आपकी पिछली पोस्ट भी पढ़ी मैंने...। वाकई ये वेदान्ती जैसे आस्तीन के साँप आतंकियों से कम खतरनाक नहीं हैं। इनका गुनाह शिवराज पाटिल की अकर्मण्यता पर भारी पड़ने वाला है।<BR/><BR/>आप ऐसी आँखें खोलने वाली पोस्टें देते रहें। <B>ये राजनीति जिन लोगों की सैरगाह बनी है, उन्हें सत्ता सौपनें का गुनाह हम भी कर रहे हैं।</B>सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-1495664706107174572008-09-17T17:24:00.000+05:302008-09-17T17:24:00.000+05:30बहुत आभार अनिल भाई. मानस की कथा हमेशा आकर्षित करती...बहुत आभार अनिल भाई. मानस की कथा हमेशा आकर्षित करती रही-कितना कुछ सोचने को मजबूर करती है....<BR/><BR/>(लेहमैन का तो वाकई दीवाला पिट गया)<BR/><BR/>हर मानस के भीतर एक क्रिस्टल का मानस है!!<BR/><BR/>बहुत बढ़िया रहा!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-15551443780317273982008-09-17T15:03:00.000+05:302008-09-17T15:03:00.000+05:30भैय्या इसको कहते हैं धोबी पछाड़। एक सशक्त, प्रतीक...भैय्या इसको कहते हैं धोबी पछाड़। एक सशक्त, प्रतीकात्मक व्यथा कथा है।Hari Joshihttps://www.blogger.com/profile/13632382660773459908noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-52583580048946659722008-09-17T12:56:00.000+05:302008-09-17T12:56:00.000+05:30अनिल भाई, समीर लाल बहुत प्यारा बालक है। दुनिया के ...अनिल भाई, <BR/>समीर लाल बहुत प्यारा बालक है। दुनिया के मेले में हर चीज बड़े गौर से देखता है और चकित रहता है। हर जगह जाता कि लोग चश्मा देखें, खूंटिया देखें। पूछें कि यहीं का है या आयातित। जरा दिखाना। यह संवाद की नैसर्गिक बाल-सुलभ लालसा है। और आंखे। मैं जानता हूं कि मन की आंखे हैं जिनमें जरा भी मैल नहीं। सबके लिए प्यार है, सम्मान है बस। बड़ों की देश की फिक्र करती बकबक से ऊब जाता है तो क्या गलत कहता है कि मुजे कानी सुनाओ। कहानी मार्मिक है- घर-घर में कारपोरेट के मानस रचे जा रहे हैं।<BR/><BR/>समीर लाल की पत्नी के लिए-गेट वेल सून। मंगलकामनाएं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04419500673114415417noreply@blogger.com