tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post2625884475175023747..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: जो अपनी नज़रों में गिरा, समझो मराअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-90680034208031445912007-10-19T22:34:00.000+05:302007-10-19T22:34:00.000+05:30बिलकुल ठीक कहा मित्र. ये लोग वे होते हैं जो खुद हर...बिलकुल ठीक कहा मित्र. ये लोग वे होते हैं जो खुद हर तरफ से कमजोर होते हैं, लिहाजा असुरक्षित महसूस करते हैं. लेकिन बनते ऐसे हैं जैसे दुनिया की हर विद्या इनको आती है। इनकी पूंछ उठाने की हिम्मत कर लीजिए, बस इनकी दवा यही है।खुशhttps://www.blogger.com/profile/09698946914339210633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-16151356962465519742007-10-19T22:31:00.000+05:302007-10-19T22:31:00.000+05:30बिलकुल ठीक कहा मित्र. ये लोग वे होते हैं जो खुद हर...बिलकुल ठीक कहा मित्र. ये लोग वे होते हैं जो खुद हर तरफ से कमजोर होते हैं, लिहाजा असुरक्षित महसूस करते हैं. लेकिन बनते ऐसे हैं जैसे दुनिया की हर विद्या इनको आती है। इनकी पूंछ उठाने की हिम्मत कर लीजिए, बस इनकी दवा यही है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-52447631313303635932007-10-18T20:42:00.000+05:302007-10-18T20:42:00.000+05:30आत्म सम्मान तो खैर अहम होता ही है और इस पर जो चोट ...आत्म सम्मान तो खैर अहम होता ही है और इस पर जो चोट करे वो स्वयं ही कुंठाग्रस्त होता है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-74164110296941476832007-10-18T19:16:00.000+05:302007-10-18T19:16:00.000+05:30वसीम बरेलवी का एक और शेर :अपने हर हर हर्फ का खुद आ...वसीम बरेलवी का एक और शेर :<BR/>अपने हर हर हर्फ का खुद आईना हो जाऊंगा<BR/>उसको छोटा कहकर मैं कैसे बडा हो जाऊंगा ?<BR/><BR/>बहुत ही पैनी बात कही है. दरअसल जो लोग एहसासे -कमतरी ( inferiority complex) से ग्रसित होते हैं, वही अक्सर ऐसा व्यवहार करते देखे गये हैं.डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/01678807832082770534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-8068313326320102942007-10-18T14:00:00.000+05:302007-10-18T14:00:00.000+05:30आपने पुराने जख्मो को कुरेद दिया। ये दुनिया और बासन...आपने पुराने जख्मो को कुरेद दिया। ये दुनिया और बासनुमा लोग तो सदा से यही करते रहे है और बहुत बार इनसे पार पाना मुश्किल हो जाता है। समय-समय पर इस तरह के लेख मनोबल को बढाने मे अहम भूमिका निभाते है। आभार।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-60961865981190795012007-10-18T12:37:00.000+05:302007-10-18T12:37:00.000+05:30बिल्कुल सही लिखा है। आत्मसम्मान की रक्षा जीवन रक्ष...बिल्कुल सही लिखा है। आत्मसम्मान की रक्षा जीवन रक्षा से कम महत्वपूर्ण नहीं है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-74206052736259141412007-10-18T12:02:00.000+05:302007-10-18T12:02:00.000+05:30ऑफिस बुल्लियिंग खुद अपने आप में एक बहुत बड़ा विषय ...ऑफिस बुल्लियिंग खुद अपने आप में एक बहुत बड़ा विषय है। आत्मसम्मान बचाने के लिये कब तक इस्तिफे दे सकते हैं। और सवाल आत्म सम्मान से ज्यादा किसी की बीमार प्रवृति के हाथों विक्टिमाइस होना है।<BR/><BR/>मुद्दा अच्छा है...पर बहस और जरूरी है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-49885756398263199102007-10-18T12:01:00.000+05:302007-10-18T12:01:00.000+05:30आजकल आत्मसम्मान रखने वालों को सामाजिक अपमान आसानी ...आजकल आत्मसम्मान रखने वालों को सामाजिक अपमान आसानी से मिलजाता है और रोज़ी रोटी चलाने में मुश्किलें आती हैं।<BR/>- गौरवAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-27200071012845361902007-10-18T11:01:00.000+05:302007-10-18T11:01:00.000+05:30जिस दिन हम अपनी ही नज़रों में गिरते हैं, उस दिन सम...जिस दिन हम अपनी ही नज़रों में गिरते हैं, उस दिन समझिए हमारी रीढ़ की हड्डी ही टूट जाती है। -- बहुत सही कहा. <BR/>भूपेन जी का शेर भी बहुत बढ़िया सन्देश दे जाता है. <BR/>दिमाग की दवा मुफ्त ही उप्लब्ध होती रहती है. बहुत बहुत धन्यवाद्मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-56217373019374493112007-10-18T09:26:00.000+05:302007-10-18T09:26:00.000+05:30ऐसे लोग हर संस्था में हैं और यही करते हैं...मित्र ...ऐसे लोग हर संस्था में हैं और यही करते हैं...मित्र ने विरोध जता कर अच्छा किया।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-15945416893211353362007-10-18T08:40:00.000+05:302007-10-18T08:40:00.000+05:30वसीम बरेलवी का एक शेर याद आ रहा है-ये सर अजीम है इ...वसीम बरेलवी का एक शेर याद आ रहा है-<BR/>ये सर अजीम है इसे झुकने ना देना ऐ, दोस्त<BR/>ज़रा सी जीने की चाहत में कहीं मर ना जानाBhupenhttps://www.blogger.com/profile/05878017724167078478noreply@blogger.com