tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post2374481097724684384..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: खबर की बात करते हो, न तीन में, न तेरह में!!!अनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-19526752937318884722008-05-29T08:51:00.000+05:302008-05-29T08:51:00.000+05:30हमें तो लगता है सभी के लिये बहुत स्पेस है! खबर के ...हमें तो लगता है सभी के लिये बहुत स्पेस है! खबर के लिये, बूत-बलात्कार के लिये, गालियों के लिये, सुभाषित के लिये, आपके लिये, मेरे लिये, सबके लिये!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-29348285826310457282008-05-29T07:17:00.000+05:302008-05-29T07:17:00.000+05:30बस इतना ही कि आपकी बात तो सही लगती है.बस इतना ही कि आपकी बात तो सही लगती है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-73745631192783775732008-05-28T22:43:00.000+05:302008-05-28T22:43:00.000+05:30"क्राइम, सेलेब्रिटी, मनोरंजन शोज़ जैसी सस्ती खबरें..."क्राइम, सेलेब्रिटी, मनोरंजन शोज़ जैसी सस्ती खबरें कवर करना उनके लिए काफी मुफीद साबित हो रहा है और गांव, गरीबी, बेरोज़गारी और पर्यावरण से जुड़ी खबरों को कवर करना घाटे का सौदा बन गया है।" <BR/><BR/>"अगर आप केवल मौजूदा मध्यवर्ग को ही दर्शक मानते हैं, तो इसे धंधे का दूरगामी नज़रिया नहीं कहा जा सकता क्योंकि जिन 70-80 करोड़ लोगों को आप नज़रअंदाज़ कर रहे हैं, वो देश का कल तय करते हैं, वो राजनीतिक रूप से किसी की किस्मत बना-बिगाड़ सकते हैं।" <BR/><BR/>बिल्कुल सही बातें कही हैं। अगर अखबारों की बात करें तो इस मामले में हिन्दी अखबारों कि दशा अंग्रेजी से भी ख़राब है।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-44676184704158278622008-05-28T22:15:00.000+05:302008-05-28T22:15:00.000+05:30सही कह रहे हैं आप.सही कह रहे हैं आप.कामोद Kaamodhttps://www.blogger.com/profile/08736388435404634973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-204408438999931042008-05-28T20:57:00.000+05:302008-05-28T20:57:00.000+05:30आपकी बात सही लगती है। लेकिन क्या वजह है कि इंडिया ...आपकी बात सही लगती है। लेकिन क्या वजह है कि इंडिया टीवी की टीआरपी एनडीटीवी इंडिया के मुक़ाबले ज़्यादा है? क्या वजह है कि सहारा का समय चैनल सरोकार की ख़बरें दिखाते-दिखाते अपनी घटती टीआरपी से आज़िज़ आकर फ़िल्मी ख़बरें दिखाने लगा? शायद पैसे के बहाव की दिशा इससे साफ़ होती है।<BR/><BR/>हालाँकि मुझे टैम पर ज़रूरत से ज़्यादा यक़ीन का कारण समझ में नहीं आता है। सब जानते हैं कि उनके मीटर, जो ज़्यादातर महानगरों में सीमित हैं, दर्शकों के सागर में बूंद की तरह हैं। शायद किसी और व्यापक एजेंसी के आने पर या टैम द्वारा स्वयं के विस्तार के बाद तस्वीर थोड़ी ज़्यादा स्पष्ट हो सके।Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-76028625608151847332008-05-28T20:54:00.000+05:302008-05-28T20:54:00.000+05:30सार गर्भित और ग्यान वर्धक लेख। बधाईसार गर्भित और ग्यान वर्धक लेख। बधाईशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-31801788063674351282008-05-28T20:29:00.000+05:302008-05-28T20:29:00.000+05:30हैरान इसलिए हूँ की टी वी चैनलो मी काम करने वाले लो...हैरान इसलिए हूँ की टी वी चैनलो मी काम करने वाले लोग भी इस बात को स्वीकारते है फ़िर भी उसी का हिस्सा बने हुए है ......क्या वाकई मीडिया पर अक्षम लोगो ने कब्जा किया हुआ है ?डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-71488437957540702802008-05-28T20:03:00.000+05:302008-05-28T20:03:00.000+05:30कुछ तो ऐसे चैनल है जो न्यूज़ चैनल के नाम पर ही चल ...कुछ तो ऐसे चैनल है जो न्यूज़ चैनल के नाम पर ही चल रहे हैं, पर न्यूज़ छोड़कर बाकी सबकुछ दिखाते हैं. :-)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-74651514595623133022008-05-28T19:48:00.000+05:302008-05-28T19:48:00.000+05:30ठीक ही कहा आपने.जल्द पैसा कमाने और अपनी टी आर पी ब...ठीक ही कहा आपने.<BR/>जल्द पैसा कमाने और अपनी टी आर पी बढाने के फेरे मे ये न्यूज़ चैनल वाले अपने कर्म से भी मुह मोड़ बैठे है.<BR/>सामाजिक सरोकार की बातों को महत्व देने के स्थान पर Entertainment के नाम पर कुछ भी दिखकर अपना उल्लू सीधा करने मे लगे हैं.<BR/>और एक पब्लिक है जो इस माया जाल मे फंसी जा रही है.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.com