tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post1336505871238787311..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: झाड़ू-पोंछा तो रोज़ लगाना पड़ना है न!!!अनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-69907579420794633602007-10-15T20:47:00.000+05:302007-10-15T20:47:00.000+05:30इंसान की अंदर की दुनिया और बाहर का संसार। इंसान का...इंसान की अंदर की दुनिया और बाहर का संसार। इंसान का समग्र अस्तित्व इन्हीं दो चीजों से मिल कर बना है।<BR/><BR/><BR/>-इसी धुन पर नाचते आज का हमारा अलेख भी है. है तो टैलीपैथी का नतीजा. :)<BR/><BR/>http://udantashtari.blogspot.com/2007/10/blog-post_15.html<BR/><BR/>--रही नहाने की बात-<BR/><BR/>बस इक आस में साबुन घिसे जाता हूँ<BR/>वरना तो रंग हर रोज वही पाता हूँ!!!<BR/><BR/>--लहा हुआ हूँ फिर भी. तो लिखते भी जाऊँगा. आप भी लिखते रहें. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-983231675873068602007-10-15T17:32:00.000+05:302007-10-15T17:32:00.000+05:30पायलागी करता हूँ अनिल भाई..पायलागी करता हूँ अनिल भाई..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-64348849188817895822007-10-15T17:21:00.000+05:302007-10-15T17:21:00.000+05:30सही बात - प्रश्न होने चाहियें। ढ़ेरों। और मान्यताओं...सही बात - प्रश्न होने चाहियें। ढ़ेरों। और मान्यताओं में जड़ता नहीं होनी चाहिये। <BR/>यह सफाई का बेहतरीन तरीका है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-9238439643338450372007-10-15T12:51:00.000+05:302007-10-15T12:51:00.000+05:30सही कह रहे हैं आप लिखने से कई बाते जुड़ी होती हैं।क...सही कह रहे हैं आप लिखने से कई बाते जुड़ी होती हैं।क्योंकि जब तक लिखेंगे नही तब तक मन खाली नहीं होग और अगर मन खाली नहीं होगा तो नए विचारों का सृजन कहाँ से होगा।विकास परिहारhttps://www.blogger.com/profile/07464951480879374842noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-49173913554640903732007-10-15T12:48:00.000+05:302007-10-15T12:48:00.000+05:30क्यों लिखें? क्यों पढ़ें? यह प्रश्न अक्सर बोझिल करत...क्यों लिखें? क्यों पढ़ें? यह प्रश्न अक्सर बोझिल करता ही है. अब आपने एक तर्क दे दिया सोचने के लिये. लेकिन उनका क्या जो इस भाव संसार को साफ नहीं रखते और हमारी सफाई को भी अनावश्यक मानते हैं.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-87364998051383054682007-10-15T10:54:00.000+05:302007-10-15T10:54:00.000+05:30बहुत अच्छा लिखा। आपने मर्म को पा लिया है। शुक्रिया...बहुत अच्छा लिखा। आपने मर्म को पा लिया है। शुक्रिया इस खास पोस्ट के लिए।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.com