tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post1228442920738472900..comments2024-03-06T21:57:45.767+05:30Comments on एक भारतीय की डायरी: चलो अब शंख बजाएंअनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-32436210988641612002007-07-01T01:26:00.000+05:302007-07-01T01:26:00.000+05:30अच्छी बात नहीं.. पता नहीं क्यों लग रहा है जैसे अ...अच्छी बात नहीं.. पता नहीं क्यों लग रहा है जैसे अभी काफी कुछ समझना था और कहानी खत्म हो गई..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-2444963492798186232007-06-29T19:30:00.000+05:302007-06-29T19:30:00.000+05:30क्या आपको सच मे ऐसा लगता है कि जमीन को बराबर और जो...क्या आपको सच मे ऐसा लगता है कि जमीन को बराबर और जो उसपर खेती करता है उसे उसका अधिकार देने से कृषि के क्षेत्र मे सुधार आ जाएगा? मुझे आंकडे नही पता पर जितनी जमीन हमारे पास है और जितने लोग उसपर आश्रित हैं, यदि उनके बीच बराबर बाँट दी जाये तो शायद किसी के भी जिम्मे १ बीघा (acre) भी नही आएगा। शायद उससे भी कम। आपको लगता है कि एक पुरा परिवार उस एक बीघा के सहारे एक ठीक ठाक जिंदगी गुजार सकता है?<BR/>सामुहिक खेती से सभी का भला हो सकता है, इस बात मे कोई संदेह नही पर गांव के लोगों को इसके तैयार कर पाना असंभव है। मैं अपना निजी अनुभव आपको बताता हूँ। मेरे घर के सामने जो जमीन है वो जिस व्यक्ति की है उसके घर के पास एक हमारी जमीन है। पिछले कई सालों से उस व्यक्ति ने अपने जमीन पर कुछ भी नही उपजाया है और पिछले कई सालों से हमलोग उससे request कर रहे हैं कि जमीन आपस मे बदल लें तो दोनो को फायदा होगा। वैसे भी अभी आप इस जमीन का कोई ऊपयोग नही कर रहे पर आज तक वो बन्दा इसके लिए तैयार नही हुआ। कोई कारण नही । बस एक बेवाकूफानी जिद । और इस तरह कि मानसिकता लिए ना जाने कितने किसान हैं। गांव मे हर व्यक्ति को २ या ३ पम्प खुदवाने पड़ें है पर जरा कोशिश कीजिये कि सबकी जमीन एक जगह पर आ जाये ताकि रख रखाओ आसान हो और फ़ायदा ज्यादा , जिंदगी गुजर जायेगी।<BR/>मुझे नही पता कि इस बेवक़ूफ़ मानस्किता को कैसे बदला जा सकता है? यदि आपके पास कोई सुझाव हो तो कृपया share करें।<BR/><BR/>मनोजManojhttps://www.blogger.com/profile/14339916716055818117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-89662831727834499602007-06-28T14:35:00.000+05:302007-06-28T14:35:00.000+05:30आपकी तरह लिखने वाला हिन्दी चिट्ठा समुदाय में नज़र ...आपकी तरह लिखने वाला हिन्दी चिट्ठा समुदाय में नज़र नहीं आता.विषयों की विविधता और पकड़ अदभुत है. क्या आप बहुत पढ़ते रहते हैं, क्या आप बहुत अनुभवी हैं? उमा जी के शब्दों का इस्तेमाल एकबार फिर करेंगे कि आपकी लेखनी की धार ही अलग है!<BR/>आपकी व्यस्तताएं होंगी पर आपसे ज़्यादा लेखन की उम्मीद के साथ.........DesignFlutehttps://www.blogger.com/profile/00283434937237912410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-83607277600044657532007-06-28T11:32:00.000+05:302007-06-28T11:32:00.000+05:30अनिल जी, आपने खेत-खेती का पत्ता पत्ता समझा दिया। अ...अनिल जी, आपने खेत-खेती का पत्ता पत्ता समझा दिया। असरदार तरीक़े से। बधाई!<BR/><BR/>कोशिश करुंगा कि आपके इस लेख की प्रतियां निकाल चंद उन राजनेताओं को पढ़ाउं जो संसद में आकर किसान और कृषि हित की थोथी बात करते नज़र आते हैं। <BR/><BR/>आबादी पर भी आपसे ऐसी जानकारियों की उम्मीद लगा बैठा हूं क्योंकि मुझे लगता है कि इस तरह भी तनिक ध्यान नहीं है हमारे नीति निर्धारकों का। <BR/><BR/>शुक्रिया<BR/>उमाशंकर सिंहउमाशंकर सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17580430696821338879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-968593042449838987.post-11824439672445092692007-06-28T10:03:00.000+05:302007-06-28T10:03:00.000+05:30आपके इन दस लेखों की श्रंखला ने हम सभी को कृषि और ...आपके इन दस लेखों की श्रंखला ने हम सभी को कृषि और भूमि सुधार के मसले बार बार सोचने को विवश किया है.मैथिली गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/09288072559377217280noreply@blogger.com